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‘अमेरिका की ओर मत जाओ, अगर….’, ट्रंप से मीटिंग के बाद जिनपिंग की जापान-कनाडा समेत कई देशों को वॉर्निंग!



एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शुक्रवार (31 अक्टूबर) को सदस्य देशों से व्यापार और निवेश बढ़ाने का आह्वान किया, लेकिन साथ ही यह भी चेतावनी दी कि वे अमेरिका के उस प्रयास का हिस्सा न बनें जो दुनिया को चीन पर निर्भरता कम करने की दिशा में ले जा रहा है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक दिन पहले दक्षिण कोरिया छोड़ने के बाद, शी जिनपिंग इस सम्मेलन में एकमात्र वैश्विक महाशक्ति नेता बन गए थे. सम्मेलन की शुरुआत में वे मुस्कुराते हुए जापान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और मेज़बान दक्षिण कोरिया के नेताओं व मंत्रियों से हाथ मिलाते दिखे.

अपने संबोधन में शी जिनपिंग ने क्या कहा?

अपने संबोधन में शी ने कहा कि एशिया को एक-दूसरे से हाथ मिलाने की नीति पर टिके रहना चाहिए, न कि सप्लाई चेन तोड़ने की सोच पर. उन्होंने पश्चिमी देशों द्वारा फैक्ट्रियों को चीन से बाहर ले जाने की कोशिशों पर अप्रत्यक्ष रूप से कड़ी टिप्पणी की. शी ने कहा, “हमें औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करना चाहिए, उन्हें तोड़ना नहीं.”

व्यापारिक नेताओं के लिए जारी एक अन्य भाषण में, जिसे उनके प्रतिनिधि ने पढ़ा, शी ने संयुक्त राज्य अमेरिका पर अप्रत्यक्ष निशाना साधते हुए कहा कि APEC देशों को संरक्षणवाद और एकतरफा नीतियों का विरोध करना चाहिए और “दुनिया को जंगल के कानून की ओर लौटने से बचाना चाहिए.”

हालांकि, चीन की हालिया नीतियों ने शी की अपील को कुछ कमजोर किया है. अक्टूबर में बीजिंग ने रेयर अर्थ मिनरल्स पर नए निर्यात नियंत्रण प्रस्तावित किए थे, जिससे उसे अन्य देशों पर असाधारण नियंत्रण मिल जाता. ये खनिज आधुनिक तकनीकों जैसे सेमीकंडक्टर, बैटरी और जेट विमान के निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं. दुनिया की लगभग 90% सप्लाई पर चीन का दबदबा है.

ट्रंप से मुलाकात के बाद, चीन ने इन नियंत्रणों को अस्थायी रूप से रोकने पर सहमति जताई. यह बैठक दोनों नेताओं के बीच एक तरह के कूटनीतिक युद्धविराम में बदली और ट्रंप ने शी की स्थिरता की सराहना की.

शी जिनपिंग और साने ताकाइची की हुई मुलाकात

लेकिन शुक्रवार को शी का सामना जापान की नई प्रधानमंत्री साने ताकाइची से हुआ, जो चीन की मुखर आलोचक मानी जाती हैं. ताकाइची ने शी के साथ मुलाकात में रेयर अर्थ निर्यात नियंत्रण, पूर्वी चीन सागर में विवाद, और जासूसी आरोपों में हिरासत में लिए गए जापानी नागरिकों के मुद्दे उठाए. उन्होंने कहा कि जापान को दक्षिण चीन सागर में चीन के सैन्य विस्तार, हांगकांग और शिनजियांग में मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर गंभीर चिंता है. ताकाइची ने कहा, “हमारे बीच मतभेद जरूर हैं, लेकिन इन्हीं मुद्दों पर खुलकर और सीधे बातचीत जरूरी है.”

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