Supreme News24

‘आज ही रिहा कर दें?’, अंतरिम जमानत की अर्जी लेकर पहुंचे अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह से बोला सुप्रीम कोर्ट


टेरर फंडिंग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह की अंतरिम जमानत की अर्जी अस्वीकार कर दी है. गुरुवार (4 सितंबर, 2025) को शब्बीर अहमद शाह ने गंभीर बीमार होने का हवाला देते हुए अंंतरिम जमानत की गुजारिश की थी.

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही थी. बेंच ने शब्बीर अहमद शाह को जमानत देने से तो इनकार कर दिया, लेकिन 12 जून के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली उसकी याचिका पर केंद्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) से जवाब मांगा है. उसने यह याचिका जमानत देने से इनकार करने संबंधी हाईकोर्ट के 12 जून के आदेश के खिलाफ दाखिल की गई थी. कोर्ट ने एनआईए को दो हफ्ते में जवाब देने को कहा है.

शब्बीर अहमद शाह की ओर सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंजाल्विस ने अंतरिम जमानत का अनुरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता बेहद बीमार है. इस पर जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि कोई अंतरिम जमानत नहीं मिलेगी. अंतरिम जमानत की मांग करते हुए शब्बीर अहमद शाह के वकील गोंजाल्विस ने कहा, ‘मुझे (शाह को) अंतरिम जमानत चाहिए.’  इस पर जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा, ‘आपको आज ही रिहा कर दें?’ इसके बाद गोंजाल्विस ने शब्बीर अहमद शाह की याचिका पर जल्द सुनवाई का अनुरोध किया और बेंच ने दो हफ्ते बाद सुनवाई की तारीख तय कर दी.

हाईकोर्ट ने शब्बीर को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि संभावना है कि जेल से बाहर जाने पर वह गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल हो और गवाहों को भी प्रभावित करने की कोशिश कर सकता है. शब्बीर अहमद शाह को एनआईए ने चार जून, 2019 को गिरफ्तार किया था.

एनआईए ने 2017 में पथराव, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचकर व्यवधान पैदा करने के लिए धन जुटाने और एकत्र करने की साजिश के आरोप में 12 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

शब्बीर अहमद शाह पर आरोप है कि उसने आम लोगों को जम्मू कश्मीर के अलगाव के समर्थन में नारे लगाने के लिए उकसाकर, मारे गए आतंकवादियों या चरमपंथियों के परिवारों को शहीद बताकर श्रद्धांजलि अर्पित करके, हवाला लेनदेन के माध्यम से धन प्राप्त करके और नियंत्रण रेखा व्यापार के माध्यम से धन जुटाकर जम्मू कश्मीर में अलगाववादी या चरमपंथी आंदोलन को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई, जिसका कथित तौर पर जम्मू कश्मीर में विध्वंसक और उग्रवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया गया.

हाईकोर्ट ने कहा था कि संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है, लेकिन यह सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता, नैतिकता या किसी अपराध के लिए उकसाने जैसे कदमों पर उचित प्रतिबंध भी लगाता है. हाईकोर्ट ने कहा था, ‘इस अधिकार का दुरुपयोग रैलियां आयोजित करने की आड़ में नहीं किया जा सकता, जिसमें कोई व्यक्ति भड़काऊ भाषण देता है या जनता को देश के हित और अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाली गैरकानूनी गतिविधियों के लिए उकसाता है.’

कोर्ट ने अधीनस्थ अदालत के 7 जुलाई, 2023 के उस आदेश के खिलाफ शब्बीर अहमद शाह की अपील खारिज कर दी थी जिसमें उसे जमानत देने से इनकार कर दिया गया था. हाईकोर्ट ने आरोपों की गंभीर प्रकृति को देखते हुए शब्बीर अहमद शाह की घर में नजरबंदी की वैकल्पिक अर्जी को भी खारिज कर दिया था.

कोर्ट ने कहा था कि वह गैरकानूनी संगठन जम्मू कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी का अध्यक्ष है. हाईकोर्ट ने शब्बीर अहमद शाह के खिलाफ लंबित 24 मामलों की विस्तृत जानकारी देने वाली एक तालिका का विश्लेषण किया था, जिसमें इसी तरह के कई आपराधिक मामलों में उसकी संलिप्तता और जम्मू कश्मीर को भारत संघ से अलग करने की साजिश रचने के संकेत थे.



Source link

Thank you so much for supporting us.

Discover more from Taza News

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading