‘आवारा कुत्तों के मामले में कोर्ट में पेशी से दी जाए रियायत’, राज्यों के इस अनुरोध पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?
आवारा कुत्तों के मामले में राज्यों के मुख्य सचिवों के व्यक्तिगत रूप से कोर्ट आने में रियायत दिए जाने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. कोर्ट से अनुरोध किया गया था कि मुख्य सचिवों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने की अनुमति दी जाए. आवारा कुत्तों के मामले में तीन नवंबर को तेलंगाना और पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को सुप्रीम कोर्ट में पेश होना है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शुक्रवार (31 अक्टूबर, 2025) को सुप्रीम कोर्ट से मुख्य सचिवों के व्यक्तिगत रूप से पेश होने में रियायत का अनुरोध किया था. जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया और कहा कि केंद्र से पारित कानून पर अमल नहीं हो रहा. कोर्ट के आदेश के बावजूद हलफनामा दाखिल नहीं हुआ. उन्हें व्यक्तिगत रूप से आने दीजिए. इससे पहले बिहार के मुख्य सचिव ने राज्य में चुनावों का हवाला देते हुए व्यकिगत पेशी से छूट मांगी थी, जिसे कोर्ट ने अस्वीकर कर दिया.
तीन नवंबर को मुख्य सचिवों को पेश होकर सुप्रीम कोर्ट को बताना है कि आवारा कुत्तों के मामले में राज्यों की तरफ से हलफनामा क्यों दाखिल नहीं किया गया है. 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के इस रवैये पर नाराजगी जताई थी और कहा था कि आदेश को दो महीने बीत चुके हैं, लेकिन अब तक हलफनामा दाखिल नहीं किया गया है. कोर्ट ने कहा था कि लगातार बच्चों और बड़ों पर कुत्तों के हमले के मामले सामने आ रहे हैं और इस तरह विश्व स्तर पर देश की छवि खराब हो रही है.
जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन वी अंजारिया की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है. 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग हाईकोर्ट में लंबित आवारा कुत्तों से जुड़े मुकदमों को भी अपने पास ट्रांसफर कर लिया था. जजों ने कहा था कि वह इस विषय में राष्ट्रीय नीति बनाने पर चर्चा करेंगे.
बेंच ने आदेश दिया था कि राज्यों को अपने यहां एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स, 2023 (एबीसी रूल्स) के पालन के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी देनी है. एबीसी रूल्स में इस बात की व्यवस्था है कि आवारा कुत्तों को पकड़ कर उनकी नसबंदी और टीकाकरण (वैक्सिनेशन) किया जाए. इसके बाद उन्हें वापस वहीं छोड़ दिया जाए जहां से उन्हें पकड़ा गया था. इससे पहले जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने दिल्ली-एनसीआर में कुत्तों के काटने की घटनाओं पर सख्त रुख अपनाते हुए सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में बंद करने का आदेश दिया था, लेकिन इस आदेश पर कई एनिमल लवर्स ने आपत्ति जताई.
एनिमव लवर्स ने मामला मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई के सामने रखा और फिर यह केस तीन जजों की बेंच को ट्रांसफर कर दिया गया. बेंच ने पुराने आदेश में कुछ बदलाव करते हुए दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को पकड़ कर स्टरलाइज और वैक्सिनेट करने और उन्हें उनके इलाके में वापस छोड़ने का आदेश दिया था. साथ ही कोर्ट ने सुनवाई का दायरा बढ़ाते हुए देशभर में आवारा कुत्तों को लेकर हाईकोर्ट्स में चल रहे सभी मुकदमों को अपने पास ट्रांसफर कर लिया.
(निपुण सहगल के इनपुट के साथ)

