‘इजरायल को भी स्वीकार करें….’, किस मुस्लिम मुल्क ने कर दी यहूदियों के लिए सुरक्षा की बात, PAK और सऊदी समेत इन 59 देशों को लगेगी मिर्ची
गाजा में करीब दो साल से हो रहे हमलों की वजह से तमाम मुस्लिम देश इजरायल से खफा हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जितनी भी बैठकें होती हैं, वहां वे हमेशा इजरायल के खिलाफ तल्ख बयानबाजी करते नजर आते हैं. इस बीच दुनिया के सबसे बड़े इस्लामिक देश ने इजरायल की सुरक्षा की बात की है. यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली में अपनी 19 मिनट की स्पीच में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो ने कहा कि दुनिया को इजरायल के सुरक्षा के अधिकार का सम्मान करना चाहिए.
प्रबोवो सुबिआंतो ने कहा, ‘हमें इजरायल को भी स्वीकार करना चाहिए, हमें इजरायल की सेफ्टी और सिक्योरिटी की भी गारंटी देनी चाहिए. तभी पूरी तरह से शांति हो सकती है.’ अपनी स्पीच के आखिर में प्रबोवो सुबिआंतो ने यहूदी शब्द शलोम भी कहा. यह एक यहूदी शब्द है, जिसको लोग मिलते हुए या अलग होते हुए एक-दूसरे से बोलते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि एकबार इजरायल फिलिस्तीन को देश के तौर पर मान्यता देता है तो वह भी तुरंत इजरायल को मान्यता देंगे.
प्रबोवो ने कहा- हम अपने 20 हजार लोग गाजा भेजने को तैयार हैं
प्रबोवो सुबिआंतो ने कहा कि इंडोनेशिया ऐसी शांति चाहता है जो दिखाए कि ताकत से ही सबकुछ नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा, ‘हमें संयुक्त राष्ट्र पर भरोसा है. जहां भी शांति की जरूरत है हम वहां काम करते रहेंगे, सिर्फ बातों से नहीं बल्कि उसे जमीनी तौर पर भी दिखाएंगे.’ उन्होंने कहा, ‘जब भी यूएन सिक्योरिटी काउंसिल फैसला करती है, इंडोनेशिया गाजा में शांति बहाल करने के लिए अपने 20 हजार बेटे-बेटियों को भेजने के लिए तैयार है.’ उन्होंने कहा कि सिर्फ गाजा ही नहीं दुनिया में जहां कहीं भी जरूरत है इंडोनेशिया अपने शांति सैनिक भेजने के लिए तैयार है, चाहे यूक्रेन, सीरिया या लीबिया कहीं भी भेजने हों.
प्रबोवो सुबिआंतो ने यह भी कहा कि हिंदू, मुस्लिम, यहूदी, ईसाई, बौद्ध और सभी धर्मों को एक मानव परिवार के रूप में रहना चाहिए. इंडोनेशिया इस नजरिए को वास्तविक रूप देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. प्रबोवो सुबिअंतो ने अपनी स्पीच के अंत में संस्कृत में कहा, ‘ओम शांति शांति, शांति ओम‘. उन्होंने यहूदी और अन्य धर्मों से जुड़े वाक्यों का भी इस्तेमाल किया.
15 सितंबर को कतर की राजधानी दोहा में गल्फ कॉर्पोरेशन काउंसिल के 60 मुस्लिम देशों की अर्जेंट मीटिंग हुई थी. कतर में हमास के अधिकारियों पर हुए इजरायली हमले के बाद कतर के अमीर ने यह मीटिंग बुलाई थी.