इस राज्य के स्थानीय निकाय चुनावों में नहीं मिलेगा पिछड़ा वर्ग को आरक्षण, हाई कोर्ट ने लगाई रोक
तेलंगाना हाई कोर्ट ने गुरुवार (09 अक्टूबर, 2025) को राज्य सरकार के आदेश (जीओ) एमएस नंबर 9 के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी, जिसमें आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया था. अपने अंतरिम आदेश में कोर्ट ने अगले आदेश तक इस जीओ के संचालन को निलंबित कर दिया.
कोर्ट ने राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और याचिकाकर्ताओं को इसके बाद दो सप्ताह के भीतर अपनी आपत्तियां दर्ज करने की अनुमति दी. मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद निर्धारित की गई है.
कोर्ट ने सरकार के आदेश पर उठाए सवाल
यह निर्णय हाई कोर्ट में ओबीसी कोटा की वैधानिकता और समानुपातिकता पर दो दिनों तक चली बहस के बाद आया. कोर्ट ने सरकार के आदेश की वैधता पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या डेटा संग्रह और विश्लेषण में पर्याप्त विचार-विमर्श किया गया था.
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा, ‘डेटा प्रकाशित होने और आयोग की ओर से रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के बाद, क्या सार्वजनिक प्रकाशन, आपत्तियां आमंत्रित करने और फिर उन्हें संबोधित करने की प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाना चाहिए?’
67 प्रतिशत आरक्षण संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन
पिछले महीने, तेलंगाना सरकार ने अक्टूबर और नवंबर में कई चरणों में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों के लिए 42 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का आदेश जारी किया था. 27 सितंबर को, अवकाश पीठ ने एक हाउस मोशन याचिका पर सुनवाई की और आदेश की तात्कालिकता तथा विधेयक के लिए राज्यपाल की सहमति की अनुपस्थिति पर सवाल उठाया. इसके बाद मामला 8 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया.
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि ओबीसी आरक्षण को मौजूदा 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने से राज्य में कुल आरक्षण 67 प्रतिशत हो जाएगा, जो संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन हो सकता है. कोर्ट ने इस मामले में गहन जांच का निर्देश दिया है और सरकार से विस्तृत जवाब मांगा है. यह निर्णय स्थानीय निकाय चुनावों की प्रक्रिया पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है.
ये भी पढ़ें:- ‘दोनों देश ईमानदारी से निभा रहे रिश्ता’, भारत के लिए फिर से उड़ानें बहाल होने पर बोला चीन

