ऑनलाइन सट्टेबाजी रैकेट पर ED का शिकंजा, 300 से ज्यादा बैंक अकाउंट्स में 35.80 करोड़ रुपये अटैच
ED ने एक बड़े ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए के रैकेट पर कार्रवाई की है. एजेंसी ने 300 से ज्यादा बैंक अकाउंट्स में मौजूद 35.80 करोड़ की रकम को अस्थायी रूप से अटैच कर लिया है. ये बैंक अकाउंट्स ऐसे लोगों के नाम पर खोले गए थे, जिन्हें इस बात की जानकारी तक नहीं थी कि उनके दस्तावेजों का इस्तेमाल गलत तरीके से किया जा रहा है.
ये कार्रवाई 29 अक्टूबर 2025 को प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर के तहत की गई. मामला जीतेन्द्र तेजाभाई हीरागर और उनके सहयोगियों से जुड़ा है. ED की जांच में पता चला कि 448 फर्जी बैंक अकाउंट्स खोले गए थे, जिनमें लाखों रुपए की ट्रांजैक्शन हो रही थी.
फर्जी दस्तावेजों की मदद से बेगुनाह लोगों को फंसाया
ये खाते फर्जी दस्तावेजों की मदद से बेगुनाह लोगों के नाम पर खोले गए थे. बाद में ये खाते एक संगठित गैंग को दे दिए गए, जिसने इनका इस्तेमाल ऑनलाइन जुआ, सट्टा और अन्य गैरकानूनी कामों के लिए किया. इन खातों के जरिए बड़े पैमाने पर पैसों की हेराफेरी की गई. जांच में अब तक 995 से ज्यादा बैंक अकाउंट्स के लेन-देन खंगाले गए हैं.
इन खातों में करीब 1,000 करोड़ से ज्यादा की ट्रांजैक्शन हुई थी. ये जांच अहमदाबाद सिटी पुलिस की क्राइम ब्रांच की ओर से दर्ज एक FIR के आधार पर शुरू हुई थी. FIR में जीतेन्द्र तेजाभाई हीरागर और अन्य लोगों के खिलाफ PMLA के तहत मामला दर्ज किया गया था.
ऐसे ठगी को देते थे अंजाम
ED की जांच में सामने आया कि इस नेटवर्क के लोग फर्जी KYC दस्तावेजों की मदद से बैंक खाते खुलवाते थे. फिर उन खातों को ऑनलाइन बेटिंग प्लेटफॉर्म्स और जुए से जुड़ी वेबसाइटों के जरिए पैसों के लेन-देन में इस्तेमाल किया जाता था. इन खातों का इस्तेमाल गैरकानूनी सट्टेबाजी, ऑनलाइन गेमिंग फ्रॉड और अन्य अवैध ट्रांजैक्शन के लिए किया गया.
ED ने अब तक ऐसे 300 से ज्यादा बैंक अकाउंट्स में मौजूद 35.80 करोड़ की रकम को अटैच किया है. एजेंसी का कहना है कि ये पैसा सीधे तौर पर गैरकानूनी जुए और सट्टेबाजी से कमाया गया है. ED ने बताया कि ये सिर्फ शुरुआत है. जांच आगे बढ़ाई जा रही है, ताकि इस नेटवर्क से जुड़े बाकी लोगों और कंपनियों तक पहुंचा जा सके.
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