Supreme News24

‘कोई बड़ा-छोटा नहीं…’, कॉलेजियम सिस्टम पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट को लेकर क्या बोले CJI गवई?


भारत के मुख्य  न्यायाधीश (CJI) भूषण रामकृष्ण ने शुक्रवार (15 अगस्त, 2025) को 79वें स्वतंत्रता दिवस पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट एक-दूसरे से श्रेष्ठ या निम्न नहीं हैं. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम किसी हाईकोर्ट के कॉलेजियम को जज पद के लिए किसी विशेष नाम की सिफारिश करने का निर्देश नहीं दे सकता.

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों ही संवैधानिक संस्थाएं हैं और कोई भी एक-दूसरे से श्रेष्ठ नहीं हैं. जस्टिस गवई स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) की ओर से आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम में एससीबीए अध्यक्ष विकास सिंह ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से आग्रह किया कि वह हाईकोर्ट के जजों के तौर पर नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के नामों पर भी विचार करें, भले ही उन्होंने वहां वकालत न की हो.

सीजेआई गवई ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम भी हाईकोर्ट कॉलेजियम को नामों की सिफारिश करने का निर्देश नहीं दे सकता… सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट से श्रेष्ठ नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों ही संवैधानिक अदालतें हैं और जहां तक संवैधानिक व्यवस्था का प्रश्न है, वे न तो एक-दूसरे से निम्नतर हैं और न ही श्रेष्ठ इसलिए जजों की नियुक्ति पर पहला फैसला हाईकोर्ट कॉलेजियम को लेना होता है.’

सीजेआई गवई ने कहा, ‘हम सिर्फ हाईकोर्ट कॉलेजियम को नामों की सिफारिश करते हैं और उनसे नामों पर विचार करने का अनुरोध करते हैं और जब वे इस बात से संतुष्ट हो जाते हैं कि उम्मीदवार नियुक्ति के योग्य हैं, तभी उनके नाम सुप्रीम कोर्ट के पास आते हैं.’

उन्होंने कहा कि जब पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना इसके प्रमुख थे, तब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उम्मीदवारों के साथ बातचीत की प्रथा शुरू की थी और यह वास्तव में मददगार साबित हुई. जस्टिस गवई ने कहा कि उम्मीदवारों के साथ 10 मिनट, 15 मिनट या आधे घंटे की बातचीत के बाद, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम यह पता लगा सकता है कि वे समाज में योगदान के लिए कितने उपयुक्त होंगे.



Source link

Thank you so much for supporting us.

Discover more from Taza News

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading