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चीन ये क्या कर रहा? ‘प्रेग्नेंट रोबोट’ एक साल में होंगे तैयार, इंसानों को देंगे जन्म! चौंक जाएंगे पढ़ लीजिए


विज्ञान और तकनीक की दुनिया में चीन ने एक और चौंकाने वाला कदम उठाया है. चीन की एक टेक्नोलॉजी कंपनी ‘काइवा टेक्नोलॉजी’ (Kiwa Technology) ऐसे रोबोट्स विकसित कर रही है, जो अपने पेट से इंसान के बच्चे को जन्म दे सकेंगे. यह तकनीक आने वाले एक साल में बाजार में उपलब्ध हो सकती है.

इंसानों की तरह प्रेग्नेंसी का अनुभव कर सकेंगे रोबोट

चीनी वेबसाइट ECNS.cn की एक रिपोर्ट के मुताबिक, काइवा टेक्नोलॉजी दुनिया का पहला ऐसा रोबोट बना रही है, जो गर्भवती हो सकता है. इसमें एक इन्क्यूबेशन पॉड और खास तरह का रोबोटिक पेट होगा, जो महिला के गर्भ जैसा काम करेगा.

इसमें गर्भधारण से लेकर प्रसव तक की पूरी प्रक्रिया कृत्रिम तरीके से दोहराई जाएगी. खास बात यह है कि यह तकनीक पारंपरिक IVF या सरोगेसी से बिल्कुल अलग है.

कीमत और उपलब्धता

कंपनी के अनुसार, इस प्रेग्नेंट रोबोट की कीमत लगभग 1 लाख युआन (लगभग 13,900 अमेरिकी डॉलर या 12 लाख भारतीय रुपये) होगी. इसे अगले 12 महीनों के भीतर लॉन्च किए जाने की संभावना है.

किसके लिए है यह तकनीक?

कंपनी के CEO झांग किफेंग के अनुसार, यह तकनीक खासतौर पर उन महिलाओं या दंपतियों के लिए बनाई जा रही है जो संतान तो चाहते हैं, लेकिन गर्भवती होने की प्रक्रिया से गुजरना नहीं चाहते. झांग ने 2014 में सिंगापुर की नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से पीएचडी की है और 2015 में गुआंगझौ में काइवा टेक्नोलॉजी की स्थापना की थी.

सोशल मीडिया पर मचा तहलका

इस खबर ने चीन के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर जबरदस्त हलचल मचा दी है. खबर के सामने आते ही 10 करोड़ से ज्यादा व्यूज दर्ज किए गए. कई लोग इसे तकनीक का चमत्कार मान रहे हैं और उन लोगों के लिए वरदान बता रहे हैं जो बच्चा नहीं पैदा कर सकते.

हालांकि, कुछ लोगों ने इस तकनीक पर सवाल भी खड़े किए हैं. आलोचकों का कहना है कि रोबोट से जन्म लेने वाले बच्चे के साथ मातृत्व का भाव नहीं जुड़ पाएगा. साथ ही, इस प्रक्रिया से पैदा होने वाले बच्चों के स्वास्थ्य और मानसिक विकास को लेकर भी चिंताएं जताई जा रही हैं.

भविष्य में क्या?

बेशक यह तकनीक अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन यह आने वाले वर्षों में मानव प्रजनन प्रणाली को लेकर बहस छेड़ सकती है. क्या इंसानों की तरह बच्चे को जन्म देने वाले रोबोट वाकई सुरक्षित होंगे? क्या यह नैतिक रूप से स्वीकार्य होगा?

इन सभी सवालों के जवाब फिलहाल भविष्य के गर्त में छिपे हैं, लेकिन एक बात तय है – विज्ञान की रफ्तार अब कल्पना से भी आगे निकल चुकी है. 



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