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ढाका पहुंचने से पहले ही झटका! बांग्लादेश में जाकिर नाइक को No Entry, भारत के दबाव में झुकी सरकार?



बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार ने भारत में वांछित कट्टरपंथी इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाइक के प्रस्तावित बांग्लादेश दौरे पर अब रोक लगा दी है. भारी आलोचना और विवाद के बाद सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल नाइक को देश में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी. यह फैसला मंगलवार को ढाका सचिवालय में हुई गृह मंत्रालय की कानून-व्यवस्था कोर कमेटी की बैठक में लिया गया. इस फैसले की जानकारी स्थानीय मीडिया आउटलेट प्रथम आलो ने दी है.

इससे पहले यूनुस सरकार ने नफरत फैलाने वाले भाषणों के लिए कुख्यात जाकिर नाइक के स्वागत की तैयारी की थी. जैसे ही यह खबर सामने आई, भारत ने आधिकारिक तौर पर आपत्ति जताई. भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर उम्मीद जताई थी कि यदि जाकिर नाइक ढाका पहुंचता है तो उन्हें भारत के हवाले किया जाएगा.

मलेशिया में शरण लेकर रह रहा है जाकिर नाइक

फिलहाल जाकिर नाइक मलेशिया में शरण लेकर रह रहा है. भारत में उसके खिलाफ आतंकवाद, मनी लॉन्ड्रिंग और नफरती भाषण फैलाने के कई गंभीर मामले दर्ज हैं. साल 2016 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उसके खिलाफ आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत मुकदमा दर्ज किया था, जिसके बाद वह भारत से भाग गया था और मलेशिया में स्थायी निवास का दर्जा प्राप्त कर लिया था.

ढाका में एक धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने वाला था नाइक

रिपोर्ट्स के अनुसार, नाइक 28-29 नवंबर को ढाका में आयोजित होने वाले एक धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने वाला था. इस आयोजन की जिम्मेदारी स्पार्क इवेंट मैनेजमेंट कंपनी को दी गई थी, जिसने हाल ही में फेसबुक पर घोषणा की थी कि वह नाइक को बांग्लादेश लाने की तैयारी कर रही है. यह कार्यक्रम ढाका के अगरगांव क्षेत्र में होना था और आयोजकों ने दावा किया था कि उसे सरकार की अनुमति मिल चुकी है.

सरकार ने रद्द कर दिया कार्यक्रम

हालांकि, अब सरकार ने इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया है. गौरतलब है कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना सरकार ने पहले ही जाकिर नाइक के देश में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया था. 2016 में ढाका के एक कैफे पर हुए आतंकी हमले में शामिल दो आतंकियों के बारे में पता चला था कि वे नाइक के कट्टर भाषणों से प्रभावित थे.

नाइक के खिलाफ भारत में दर्ज मामलों की जांच जारी

नाइक के खिलाफ भारत में दर्ज मामलों की जांच अब भी जारी है और भारतीय एजेंसियां उनके प्रत्यर्पण की कोशिशें कर रही हैं. बांग्लादेश सरकार के इस फैसले को क्षेत्रीय सुरक्षा के लिहाज से अहम कदम माना जा रहा है.

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