तेलंगाना बस हादसे पर मानवाधिकार आयोग ने उठाए सवाल, रेवंत सरकार से मांगी रिपोर्ट; 19 लोगों की हुई थी मौत
हैदराबाद के Chevella में हुए दर्दनाक बस हादसे ने सिर्फ 19 ज़िंदगियां ले लीं, बल्कि सवालों की एक लंबी कतार पेश कर दी है, जिसे अब Telangana State Human Rights Commission (TSHRC) ने उठाया है. इस हादसे के बाद ये आयोग अपनी सक्रियता दिखाते हुए ‘सिस्टेम फेलियर’ की तस्वीर सामने ला रहा है. TSHRC ने मंगलवार (4 नवंबर 2025) को मामले पर स्वत: संज्ञान लिया और हादसे में मारे गए 19 लोगों के संदर्भ में सम्बन्धित अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है.
आयोग ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए चेवेल्ला–तांडूर मार्ग को ‘मौत का गलियारा’ कहा है, जहां रोड की दशा, विभाजक की कमी, तेज गति, ओवरलोडिंग और हाईवे चौड़ा न होने जैसे कारणों से अक्सर जान-माल का मंजर बनता रहा है. TSHRC ने स्पष्ट किया कि इन घटनाओं में प्रशासनिक लापरवाही, प्रवर्तन तंत्र की विफलता एवं सम्बंधित विभागों की जवाबदेही की कमी प्रमुख भूमिका निभा रही है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 21 में सुरक्षित ‘जीवन व सुरक्षा के अधिकार’ का लगातार उल्लंघन है.
रिपोर्ट पेश करने का निर्देश
आयोग ने National Highways Authority of India (NHAI), Telangana State Road Transport Corporation (TSRTC), परिवहन विभाग, गृह विभाग, खनन-भूविज्ञान विभाग और रांगा रेड्डी जिला कलेक्टर को 12 दिसंबर तक तथ्यात्मक व कार्रवाई संबंधी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. यह निर्देश इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस मार्ग पर पिछले वर्षों में भी हादसों का सिलसिला रुक नहीं पाया था. उस पर आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, चौड़ीकरण और ढंग-की निगरानी का अभाव है. इस मामले में आयोग ने सीधे राज्य-प्रशासन और संबंधित विभागों को चुनौती दी है कि सिर्फ दुख-सहमति वक्तव्य देना पर्याप्त नहीं, बल्कि कार्रवाई देखनी है.
पीड़ित परिवारों को न्याय की उम्मीद
पीड़ित परिवारों के सामने अब न्याय की उम्मीद और आरोपियों के खिलाफ जवाबदेही की मांग दोनों खड़ी हैं. इस हादसे ने एक बार फिर सार्वजनिक परिवहन-सुरक्षा-इंफ्रास्ट्रक्चर के बीच गहरे खांचे उजागर किए हैं. क्या इस बार दोषियों को पक्का जवाब देना होगा या फिर रिपोर्टों के बीच खो जाएगा मानव जीवन? समय बतायेगा.
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