नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव या फिर बीजेपी, बिहार में किसको नुकसान पहुंचाएंगे शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद?
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बिहार विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर अपने प्रत्याशियों को उतारने का ऐलान कर दिया है. उनके इस ऐलान ने बिहार की सियासत में खलबली मचा दी है. बिहार में प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी के चुनाव में उतरने के बाद कहा जा रहा था कि इस बार का चुनाव दिलचस्प होगा, लेकिन अब शंकराचार्य के ऐलान ने भी सियासी दलों की टेंशन बढ़ा दी है.
अविमुक्तेश्वरानंद इस समय बिहार में गौ मतदाता संकल्प यात्रा निकाल रहे हैं. उन्होंने गौर रक्षा पर सभी दलों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि कोई भी राजनीतिक दल गौ रक्षा के लिए प्रतिबद्ध नहीं है. इसलिए वह हर विधानसभा क्षेत्र में गौरक्षक प्रत्याशी को मैदान में उतारेंगे. उनके इस ऐलान के बाद अब सवाल उठ रहा है कि अगर गौ रक्षक उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरते हैं तो इसका खामियाजा किसे भुगतना पड़ेगा?
आज नहीं तो कल बनेगी गौ भक्तों की सरकार: अविमुक्तेश्वरानंद
शंकराचार्य ने कहा कि हमने आजादी की लड़ाई में इसलिए भाग लिया क्योंकि हमसे कहा गया कि आजादी मिलने पर गौहत्या पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नही हुआ. 80 साल का समय राजनेताओं ने आश्वासन में बिता दिया. हमने दूसरे दलों को भी मौका दिया, लेकिन उसने भी वही किया. हमारे घर में पहली रोटी गाय के लिए बनती है. इसका मतलब हमारी प्राथमिकता गाय है. हमें गौ रक्षा के लिए वोट करने की जरूरत है. उन्होंने उम्मीद जताई कि चूंकि यह देश गौ भक्तों का देश है इसलिए आज नहीं तो कल देश में गौ भक्तों की सरकार बनेगी.
सनातनी विचारधारा की देश में अहमियत नहीं: शंकराचार्य
शंकराचार्य ने कहा कि यह देश सनातनियों का है और यहां 80 करोड़ सनातनी रहते हैं. सनातनियों की भी अपनी राजनीतिक धारा होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यहां रूस, चीन और अमेरिकी विचारधारा की राजनीति तो चलती है, लेकिन इस देश में सनातनी विचारधारा की कोई अहमियत नहीं है. अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि गौ-रक्षा के लिए जरूरी है कि देश मे सनातनी राजनीति की शुरुआत हो.
किसे नुकसान पहुंचाएंगे शंकराचार्य के उम्मीदवार?
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने पहले ही कह दिया था कि वो बिहार की सभी 243 सीटों पर गौरक्षकों को उम्मीदवार बनाएंगे. हालांकि उन्होंने ये भी संकेत दिया था उम्मीदवार नामांकन शुरू होने के बाद ही तय किए जाएंगे. अब सवाल उठने लगा है कि अगर गौरक्षक उम्मीदवार चुनाव में उतरे तो इससे किस पक्ष को नुकसान पहुंचेगा. तेजस्वी यादव के लीड वाले महागठबंधन या नीतीश कुमार के लीड वाले महागठबंधन को. माना जा रहा है कि शंकराचार्य के उम्मीदवार एनडीए को ही नुकसान पहुंचाएंगे क्योंकि बीजेपी हिंदुत्व को लेकर मुखर रहती है. हालांकि सीमांचल इलाके में वोटों का ध्रुवीकरण होता है, इसलिए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का यह दांव महागठबंधन के लिए भी नुकसानदेह साबित हो सकता है.