‘न तो तलवार की ताकत है और न ही…’, ऐसा क्यों बोले CJI गवई? फडणवीस सरकार की तारीफ में क्या कहा
भारत के चीफ जस्टिस (CJI) बी.आर. गवई ने बुधवार (05 नवंबर, 2025) को कहा कि लोकतंत्र के सभी अंग कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका नागरिकों की भलाई के लिए हैं और कोई भी अलग-थलग होकर काम नहीं कर सकता. मुंबई में महाराष्ट्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (MNLU) परिसर में एक समारोह को संबोधित करते हुए जस्टिस गवई ने कहा कि स्वतंत्रता, न्याय और समानता के सिद्धांत हमारे संविधान में सन्निहित हैं.
चीफ जस्टिस ने कहा, ‘न्यायपालिका के पास न तो तलवार की ताकत है और न ही शब्दों की, जब तक कार्यपालिका इसमें शामिल नहीं होगी. न्यायपालिका के लिए न्यायपालिका को पर्याप्त बुनियादी ढांचा और कानूनी शिक्षा प्रदान करना मुश्किल है.’
गवई ने की मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सराहना
जस्टिस गवई ने कहा कि विधि शिक्षा अब अधिक व्यावहारिक प्रशिक्षण के साथ विकसित हो रही है और इसलिए बुनियादी ढांचा बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. उन्होंने इस आलोचना का खंडन किया कि न्यायिक बुनियादी ढांचे के मामले में महाराष्ट्र सरकार कमजोर पाई गई है और कहा कि यह धारणा गलत तथ्यों पर आधारित है.
जस्टिस गवई ने न्यायपालिका के लिए बुनियादी ढांचे के मामले में हमेशा सक्रिय रहने के लिए राज्य सरकार और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सराहना की. उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र में न्यायपालिका को उपलब्ध कराया गया बुनियादी ढांचा सर्वोत्तम में से एक है.’
बाबासाहेब अंबेडकर की बातों को CJI ने किया याद
जस्टिस गवई ने कहा कि कानून एक विकसित होती हुई सजीव और प्रगतिशील शाखा है. उन्होंने कहा कि विधिक शिक्षा में एक महत्वपूर्ण बदलाव आ रहा है. उन्होंने कहा, ‘आज हम जो बुनियादी ढांचा उपलब्ध करा रहे हैं, वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों के स्तर का है. बाबासाहेब अंबेडकर ने कहा था कि एक वकील एक सामाजिक इंजीनियर भी होता है, जो सामाजिक न्याय के वादे को वास्तविकता में बदलता है.’
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र में तीन राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय हैं और जस्टिस गवई इन विश्वविद्यालयों के निर्माण में बहुत सहायक रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि बहुत जल्द एमएनएलयू को एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता मिल जाएगी.’ फडणवीस ने कहा कि नवी मुंबई में एजुसिटी शैक्षणिक केंद्र में दुनिया के 12 सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग वाले विश्वविद्यालय होंगे, जिनमें से सात दो से तीन वर्षों में अपने परिसर स्थापित कर लेंगे.
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