Supreme News24

न सीजफायर और न ही कोई डील… ट्रंप और पुतिन की 3 घंटे की मीटिंग में क्या-क्या हुआ?


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को अलास्का में यूक्रेन संकट पर एक अहम शिखर बैठक की. तीन घंटे चली इस मुलाकात को दोनों नेताओं ने ‘बेहद फलदायी’ और ‘परस्पर सम्मानजनक’ बताया, लेकिन किसी अंतिम समाधान की घोषणा नहीं हुई. यह बैठक यूरोपीय सुरक्षा और यूक्रेन युद्ध की दिशा तय करने में अहम मानी जा रही है.

इस बैठक की दस अहम बातें क्या रहीं…

प्रेस कॉन्फ्रेंस और बयान
बैठक के बाद दोनों नेताओं ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की, लेकिन पत्रकारों के सवाल नहीं लिए. ट्रंप ने कहा, ‘कोई सौदा तब तक नहीं होगा, जब तक पूरा सौदा न हो,’ जबकि पुतिन ने इसे ‘गहन और उपयोगी’ वार्ता बताया.

प्रतिनिधिमंडल की मौजूदगी
व्हाइट हाउस के अनुसार, ट्रंप के साथ पूरी बैठक के दौरान उनके शीर्ष सलाहकार मौजूद रहे. पहले तय हुई वन-ऑन-वन मीटिंग की जगह, ट्रंप के साथ विदेश मंत्री मार्को रुबियो और विशेष दूत स्टीव विटकॉफ थे. बाद में लंच के दौरान बड़े स्तर की बैठक हुई, जिसमें अन्य अधिकारी भी शामिल हुए.

रूसी पक्ष की टीम
पुतिन के साथ रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव मौजूद थे.

बैठक में बनी आंशिक सहमति

ट्रंप ने कहा, ‘हमारी बैठक बेहद उत्पादक रही, और कई बिंदुओं पर सहमति बनी है. बस कुछ ही मुद्दे बाकी हैं.’

पुतिन का रुख
पुतिन ने पहले और लंबा संबोधन देते हुए कहा कि बातचीत ‘रचनात्मक और परस्पर सम्मानजनक माहौल’ में हुई.

बैठक का स्थान और महत्व
यह बैठक अलास्का के सबसे बड़े सैन्य अड्डे ‘जॉइंट बेस एलमेंडॉर्फ-रिचर्डसन’ में हुई, जो शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ की निगरानी के लिए इस्तेमाल होता था.

ट्रंप का मकसद
अलास्का जाते समय ट्रंप ने कहा कि वह यूक्रेन की ओर से कोई समझौता कराने नहीं जा रहे, बल्कि पुतिन को वार्ता की मेज पर लाना उनका लक्ष्य है. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है सब अच्छा होगा, और अगर नहीं हुआ तो मैं तुरंत घर लौट आऊंगा.’

जेलेंस्की की अपील
जब ट्रंप अलास्का जा रहे थे, उसी समय यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति को रूस से ‘हमला रोकने’ के लिए कहना चाहिए. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘युद्ध खत्म करने का समय आ गया है, और जरूरी कदम रूस को उठाने होंगे. हम अमेरिका से उम्मीद कर रहे हैं.’

भारत पर असर
भारत, जो रूसी तेल खरीदने पर अमेरिकी टैरिफ का सामना कर रहा है, इस स्थिति में है कि वह खुद को अमेरिका द्वारा चीन के साथ पश्चिम के ‘गलत व्यापार युद्ध’ में इस्तेमाल नहीं होने दे सकता. कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जेफ्री डी सैच्स ने NDTV से कहा, ‘अमेरिका अन्य देशों का उपयोग करता है और उनके प्रति जिम्मेदार व्यवहार नहीं करता, इसलिए सावधान रहें. भारत को खुद को अमेरिका के इस व्यापार युद्ध में मोहरा नहीं बनने देना चाहिए.’



Source link

Thank you so much for supporting us.

Discover more from Taza News

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading