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पड़ोसी देश की खतरनाक बीमारी से भारत को खतरा! अब तक 292 की मौत, अस्पतालों में लंबी कतार



बांग्लादेश में डेंगू वायरस ने इस साल फिर से भयानक रूप ले लिया है. 4 नवंबर 2025 को स्वास्थ्य विभाग (DGHS) ने चार नई मौतों की पुष्टि की, जिससे कुल मृतकों की संख्या 292 तक पहुंच गई. राजधानी ढाका में हालात सबसे गंभीर हैं, जहां अस्पताल मरीजों से भर चुके हैं और कई जगहों पर बिस्तरों की भारी कमी है. स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, सिर्फ 24 घंटे में 1,101 नए मरीज अस्पतालों में भर्ती हुए हैं, जिससे कुल मामलों की संख्या अब 73,923 हो गई है.

ढाका के दोनों सिटी कॉर्पोरेशन क्षेत्रों में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. DGHS के नए आंकड़ों के अनुसार ढाका नॉर्थ में 241, साउथ में 175 और बाकी डिवीज़नों जैसे बरिशाल, चट्टोग्राम, खुलना और राजशाही में भी सैकड़ों मरीज सामने आए हैं. ग्रामीण इलाकों में भी संक्रमण फैलना शुरू हो गया है, जिससे स्वास्थ्य प्रणाली पर और दबाव बढ़ रहा है.

पिछले सालों का डेंगू रिकॉर्ड डराने वाला

पिछले तीन सालों का डेटा बताता है कि बांग्लादेश में डेंगू का खतरा लगातार बढ़ रहा है. 2023 में इस बीमारी ने 1,705 लोगों की जान ली, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा था. 2024 में मौतों की संख्या घटकर 575 रही, लेकिन 2025 में फिर से तेजी देखने को मिल रही है. अभी नवंबर की शुरुआत है और मृतकों की संख्या पहले ही 292 तक पहुंच चुकी है.

भारत के पूर्वी राज्यों के लिए खतरे की घंटी

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि बांग्लादेश में तेजी से बढ़ते डेंगू मामलों का असर भारत के पूर्वी इलाकों पर पड़ सकता है. पश्चिम बंगाल, बिहार, असम और झारखंड जैसे राज्य इसके संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं, क्योंकि भारत-बांग्लादेश सीमा खुली है और लोगों का आवागमन लगातार बना हुआ है. बारिश और नमी के कारण इन राज्यों में मच्छरों के प्रजनन की संभावना भी अधिक है.

बांग्लादेश सरकार ने सख्त कदम उठाए

डेंगू से बिगड़ते हालात को देखते हुए डीजीएचएस (DGHS) ने सभी सरकारी अस्पतालों को नई गाइडलाइन जारी की है. अब हर अस्पताल में अलग से डेंगू वार्ड बनाना अनिवार्य किया गया है और विशेष मेडिकल टीमें गठित की गई हैं. सरकार ने यह भी निर्देश दिया है कि हर जिले में मच्छरनाशक छिड़काव, लार्वा नियंत्रण, और सफाई अभियान नियमित रूप से चलाए जाएं.

बारिश और जलजमाव से बढ़ रही मुश्किलें

ढाका में मच्छरों की संख्या कम करने के लिए लगातार फॉगिंग और सफाई की जा रही है, लेकिन लगातार हो रही बारिश और जलभराव के कारण मच्छरों का प्रजनन रुक नहीं पा रहा. अस्पतालों में बढ़ते मरीजों से डॉक्टरों और नर्सों की टीमों पर भी भारी दबाव है.

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