पूजा करते समय आसन का प्रयोग क्यों करना चाहिए? जानिए धार्मिक महत्व और नियम
Puja Path Niyam: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ करने के कई नियम बताए गए हैं, अगर इन नियमों का पालन ना किया जाए तो पूजा को अधूरा माना जाता है या तो पूजा का फल नहीं मिलता. हमारे शास्त्रों में कुछ नियम बताए गए हैं जिनका पालन करना आवश्यक माना गया है.
जैसे पूजा करते समय सिर को ढंककर रखना, साफ और शुद्ध कपड़े पहनना, दिशा का ध्यान रखना और सबसे जरूरी आसन पर बैठकर पूजा करना. कई बार लोग बिना आसन के ही पूजा करने लगते है, जिसे धार्मिक दृष्टि से अशुभ माना जाता है. आइए जानते हैं इसके पीछे का धार्मिक और वैज्ञानिक कारण क्या है?
धार्मिक मान्यताएं
शास्त्र के नियमों के अनुसार साधक जहां पर भी बैठकर पूजा कर रहा हो, मंदिर का स्थान उससे ऊंचा रहना चाहिए. मगर कई बार लोग मंदिर को थोड़ा ऊपर बना लेते हैं, वरना जगह न होने की वजह से दीवार पर मंदिर को सेट कर देते हैं.
जिसकी वजह से उन्हें खड़े होकर पूजा करनी पड़ती है. मगर यह करने से उचित फल नहीं मिलता और इसे शास्त्रीय नियमों के खिलाफ भी माना जाता है.
पूजा करते समय इन नियमों का करें पालन
- पूजा करते समय आसन का इस्तेमाल करें.
- पूजा करते समय ये ध्यान रखें की आसन का कपड़ा साफ और शुद्ध हो.
- पूजा में बैठते वक्त आपका मुख हमेशा पूर्व दिशा में होना चाहिए.
- आसन के दाहिने ओर घंटी, धूप, अगरबत्ती और दीप होने चाहिए.
- वहीं बायीं ओर पूजा की सामग्री जैसे फल, फूल, जल का पात्र और शंख होने चाहिए.
आसन पर बैठकर पूजा करनी क्यों जरूरी
धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि, पूजा करते समय भक्त और भगवान के बीच संवाद का क्षण होता है. जिस वजह से मन और शरीर स्थिर रहने चाहिए और आसन पर बैठने से स्थिरता बनी रहती है.
पहले के समय में भी ऋषि-मुनियों ध्यान करने के लिए विशेष आसनों का ही प्रयोग करते थे. इसलिए इन नियमों का पालन करने से साधक को अच्छा फल मिलता और पूजा भी शास्त्रीय रूप से सार्थक मानी जायेगी.
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