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‘फिर गलती दोहराएंगे?’, मुकेश सहनी का वीडियो शेयर कर बीजेपी बोली- लालू के राज में निषाद समाज पर यादवों ने किए अत्याचार



बीजेपी के आईटी विभाग के राष्ट्रीय प्रभारी अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर विकासशील इंसान पार्टी प्रमुख मुकेश सहनी के हालिया बयान को लेकर तीखा हमला बोला है. मालवीय ने कहा कि सहनी खुद मान रहे हैं कि लालू यादव के राज में यादव समाज द्वारा मल्लाह/निषाद समुदाय पर अत्याचार किए गए, ऐसे में सवाल है-“क्या निषाद समाज फिर उसी गलती को दोहराएगा?”

क्या कहा था मुकेश सहनी ने?
एक इंटरव्यू के दौरान जब मुकेश साहनी से पूछा गया कि क्या मल्लाह वोट बैंक सहजता से महागठबंधन को ट्रांसफर हो सकेगा? इस पर साहनी ने जवाब देते हुए कहा- ‘हम लोग तो मेहनत कर रहे हैं. जो जमीन की लड़ाई आपने कहा वो सच्चाई है, और जिसके कारण कभी हमारे लोग… कभी कांग्रेस में हुआ करते थे, कांग्रेस के बाद लालू जी पर भरोसा करके, लालू जी को अपना मसीहा मानकर, उन्हें गरीब, पिछड़ा, दलित की आवाज समझकर लालू जी के साथ हमारे लोग रहे.’

उन्होंने आगे कहा कि,’उसके बाद कुछ परिस्थिति ऐसी बनी कि हमारे लोगों के साथ नाइंसाफी होने लगी. हमारे लोगों के साथ लड़ाई झगड़ा होने लगा. तो ये लोग नीतीश जी पर भरोसा करने लगे या फिर बीजेपी के साथ होकर, कह सकते हैं कि 2020 के चुनाव तक साथ रहे. लेकिन उसी बीच हमने अपने लोगों के दिल में जगह बनाई. आज पूरे बिहार में निषाद समाज हमें अपना भाई, अपना बेटा या नेता मान रहे हैं. जहां बहुत बड़ी लड़ाई है, वहां जख्म को भरने में समय लग सकता है.’

अमित मालवीय ने इसी बयान की क्लिप एक्स पर साझा करते हुए सवाल उठाया कि क्या निषाद समाज फिर उसी गलती को दोहराएगा?

महागठबंधन ने बनाया डिप्टी सीएम उम्मीदवार
विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख मुकेश सहनी को महागठबंधन ने उपमुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया है. सहनी अक्सर खुद को “मल्लाह का बेटा” बताते हैं और निषाद समाज की आवाज उठाने का दावा करते हैं. सहनी के भाई संतोष साहनी गौड़ाबोराम सीट से चुनाव मैदान में हैं.

18 सीटों पर हुंकार भर रही VIP
आरजेडी ने वीआईपी को 18 सीटें दी हैं. मल्लाह समुदाय बिहार में कुल आबादी का केवल 2.6% है. बिहार में 2023 की जातीय जनगणना के मुताबिक राज्य में निषाद समुदाय की आबादी करीब 9.6% है और इसमें मल्लाह, बिंद, मांझी, केवट और तुरहा -उप जातियां शामिल हैं. यह जातियां आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ी हैं.





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