बार-बार गिरने पर भी क्यों नहीं टूटते थे Nokia के पुराने फोन? सीक्रेट से उठ गया पर्दा, यहां जानें मजबूती का राज
एक समय मोबाइल फोन मार्केट में नोकिया का दबदबा होता था. नोकिया के मोबाइल बाकी फीचर्स के साथ-साथ अपनी मजबूती के लिए भी जाने जाते थे. बार-बार गिरने के बाद भी इन फोन को कुछ नहीं होता था. कंपनी के लगभग सभी मॉडल अपनी मजबूती के लिए मशहूर थे, लेकिन Nokia 3310 ने अपनी एक अलग पहचान बनाई. एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस मॉडल की दुनियाभर में 12 करोड़ से ज्यादा यूनिट्स बिकी थीं, जो कंपनी की उम्मीद से कई गुना अधिक थीं. आइए जानते हैं कि इस फोन की मजबूती के पीछे क्या कारण थे.
डबल शेल डिजाइन
Nokia 3310 को डबल शेल डिजाइन दिया गया था. इसके फ्रंट और बैक कवर हार्ड प्लास्टिक से बने हुए थे, जो गिरने पर लगने वाले झटके को आसानी से झेल लेते थे. कवर के नीचे एक और शेल लगी होती थी, जो नाइलॉन से बनी हुई थी. यह एक तरह का प्लास्टिक होता है, जो ज्यादा कठोर नहीं होता, लेकिन ड्यूरेबल खूब होता है
साइज
यह फोन साइज में छोटा था, लेकिन इसकी मोटाई काफी होती थी. इस वजह से यह आजकल आने वाले स्मार्टफोन की तुलना में ज्यादा मजबूत था.
स्क्रीन
आजकल के स्मार्टफोन में सबसे ऊपर स्क्रीन होती है, जिस कारण गिरने पर इसके टूटने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है, लेकिन नोकिया ने स्क्रीन की प्रोटेक्शन के लिए अलग अप्रोच अपनाई थी. नोकिया के मोबाइल्स में स्क्रीन आउटर सेल से करीब 1mm तक अंदर होती थी. इस वजह से अगर फोन गिर जाए तो स्क्रीन से पहले आउटर बॉडी जमीन से टकराती थी, जिससे स्क्रीन को नुकसान नहीं होता था.
इंटरनल पार्ट्स
नोकिया ने अपने फोन को मजबूत बनाने के लिए इंटरनल पार्ट्स को एक साथ आपस में जोड़ा नहीं था. कंपनी इन पार्ट्स को अलग-अलग रखने के लिए स्प्रिंग कनेक्टर यूज करती थी, जिससे गिरने पर इंपैक्ट का एक जगह असर नहीं होता था. साथ ही इनकी वजह से फोन को रीअसेंबल करना आसान हो जाता था.
सिंगल प्रिंटेड सर्किट बोर्ड
नोकिया के शुरुआती फोन में एक ही प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (PCB) होता था. इसकी वजह से इसकी ड्यूरेबिलिटी बढ़ी और हीट जनरेशन भी कम हो गया. ओवरहीट न होने के कारण फोन की रिलायबिलिटी में भी इजाफा हुआ.
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