Supreme News24

बिहार SIR फाइनल लिस्ट में उन्हें ही जगह जिनके दावे 1 सितंबर तक दाखिल होंगे, चुनाव आयोग ने 30 सितंबर के बाद बाकी आवेदनों पर विचार की बात कही


बिहार SIR की अंतिम सूची में उन्हीं लोगों को जगह मिल सकेगी, जिनके दावे 1 सितंबर तक दाखिल होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने SIR ड्राफ्ट लिस्ट को लेकर दावे/आपत्ति दाखिल करने की समय सीमा को बढ़ाने से मना कर दिया है. हालांकि, कोर्ट ने चुनाव आयोग के इस बयान को रिकॉर्ड पर लिया है कि अंतिम लिस्ट के प्रकाशन के बाद भी योग्य लोगों को मतदाता सूची में शामिल होने से नहीं रोका जाएगा.

चुनाव आयोग की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि विशेष सघन पुनरीक्षण का काम सुचारू रूप से चल रहा है. इसे लेकर राजनीतिक पार्टियों की आशंकाएं बेबुनियाद हैं. SIR पर दावे/आपत्ति दाखिल करने की समय सीमा बढ़ाने का असर फाइनल लिस्ट के प्रकाशन पर पड़ेगा जो कि 30 सितंबर को होना है.

राकेश द्विवेदी ने बताया कि किसी निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव नामांकन दाखिल होने की आखिरी तारीख तक लोगों को मतदाता सूची में जगह मिलती है. यह व्यवस्था बिहार में भी लागू है इसलिए, ऐसा नहीं है कि 1 सितंबर के बाद मिले आवेदन को अस्वीकार कर दिया जाएगा. ऐसे आवेदन पर भी विचार होगा, लेकिन अंतिम लिस्ट के प्रकाशन के बाद. अगर कोई दावा सही होगा तो चुनाव से पहले उसे वोटर लिस्ट में शामिल कर लिया जाएगा.

जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की बेंच ने चुनाव आयोग के इस बयान के बाद दावे/आपत्ति दाखिल करने की मियाद 15 सितंबर तक बढ़ाने की मांग को अस्वीकार कर दिया. कोर्ट ने याचिका दाखिल करने वाले राष्ट्रीय जनता दल समेत बाकी दलों से कहा कि वह जमीन पर लोगों की सहायता करें. कोर्ट ने कहा कि उसके पिछले निर्देश के बावजूद राजनीतिक पार्टियों ने छूटे हुए वोटर का नाम जुड़वाने के लिए सिर्फ 100-120 आवेदन दाखिल किए.

चुनाव आयोग ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों ने नाम जुड़वाने की बजाय कटवाने के आवेदन ज्यादा दिए हैं. यह इस बात की तरफ इशारा है कि योग्य वोटर को मतदाता लिस्ट से बाहर करने के आरोप में दम नहीं है. सुनवाई के अंत में कोर्ट ने बिहार लीगल सर्विस ऑथोरिटी के अध्यक्ष से कहा कि वह हर जिले के पैरा लीगल वालंटियर्स (कानूनी सहायता देने वाले स्वयंसेवकों) को निर्देश दें कि वह मतदाताओं की सहायता करें. उनके दावों को ऑनलाइन दाखिल करवाया जाए.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ किया कि आधार पहचान का एक दस्तावेज है इसलिए, उसने ड्राफ्ट लिस्ट में छूटे लोगों के लिए आधार को भी एक दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने के लिए कहा, लेकिन आधार एक्ट में उसे नागरिकता का सबूत नहीं माना गया है. 8 सितंबर को मामले की अगली सुनवाई होगी.



Source link

Thank you so much for supporting us.

Discover more from Taza News

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading