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भारत के गांवों में कितनी तेजी से बढ़ रहा मोटापा? एनर्जी में भी हो रही कमी


जब हम भारत के गांवों की बात करते हैं, तो हमारे दिमाग में खेत, मेहनती किसान और नेचुरल लाइफ की तस्वीरें आती हैं. माना जाता है कि गांवों में लोग ज्यादा मेहनत करते हैं, ज्यादा चलते हैं और शहरों के मुकाबले ज्यादा हेल्दी रहते हैं. लेकिन अब यह तस्वीर धीरे-धीरे बदल रही है. आज गांवों में भी वही समस्याएं सामने आ रही हैं जो पहले सिर्फ शहरों तक सीमित थी. गांवों में भी अब मोटापा, थकान, एनर्जी की कमी और खराब लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही हैं. नेशनल न्यूट्रिशन मॉनिटरिंग ब्यूरो (NNMB) की एक बड़ी रिपोर्ट ने इस सच्चाई को बताया है कि पिछले करीब 37 सालों में भारत के ग्रामीण इलाकों में मोटापा पांच गुना तक बढ़ गया है, और एक तिहाई से ज्यादा लोग एनर्जी की कमी यानी क्रॉनिक एनर्जी डेफिशिएंसी से जूझ रहे हैं. ऐसे में चलिए जानते है कि भारत के गांवों में कितनी तेजी से मोटापा बढ़ रहा है.

भारत के गांवों में कितनी तेजी से बढ़ रहा मोटापा?

NNMB की एक रिपोर्ट में भारत के 10 राज्यों के 1200 गांवों को शामिल किया गया. हर राज्य में 120 गांवों के 20-20 घरों का सर्वे किया गया. रिपोर्ट का फोकस ग्रामीण वयस्क पुरुषों और महिलाओं की हेल्थ पर था, खासकर उनके शरीर के वजन, खानपान और एनर्जी लेवल पर, जिसमें रिपोर्ट के कुछ अहम आंकड़े अलग तरह के हैं. पुरुषों का औसत BMI (बॉडी मास इंडेक्स) 1975-79 में 18.4 था, जो 2010-12 में बढ़कर 20.2 हो गया. महिलाओं का औसत BMI 18.7 से बढ़कर 20.5 पहुंच गया. ओवरवेट और मोटापे के मामले  में पुरुषों में 2 प्रतिशत से बढ़कर 10 प्रतिशत हो गए. महिलाओं में 3 प्रतिशत से बढ़कर 13 प्रतिशत हो गए. 35 प्रतिशत ग्रामीण पुरुष और महिलाएं आज भी एनर्जी की कमी यानी क्रॉनिक एनर्जी डिफिशिएंसी का सामना कर रहे हैं. 

गांवों में मोटापा क्यों बढ़ रहा है? 

पहले गांवों में लोग खेतों में काम करते थे, घंटों पैदल चलते थे और उनका खानपान भी नॉर्मल और हेल्दी होता था. लेकिन अब गांवों में भी बदलाव आ चुका है.अब गांवों में भी बाजारों में आसानी से फास्ट फूड, पैकेज्ड स्नैक्स और मीठे ड्रिंक्स मिलते हैं. ये चीजें सस्ती होने के कारण ज्यादा खाई जा रही हैं. मशीनों ने खेतों में इंसान की जगह ले ली है, गांवों में भी अब कामकाज में शरीर की मेहनत कम हो गई है. तकनीक के बढ़ते यूज से अब गांवों में भी लोग ज्यादा समय बैठकर बिताते हैं.रिपोर्ट में पाया गया कि संयुक्त परिवारों में मोटापे की समस्या ज्यादा पाई गई है. गांवों में भी अब आर्थिक, सामाजिक और पारिवारिक तनाव बढ़ रहे हैं, जिसका असर हेल्थ पर पड़ रहा है. 

वहीं मोटापा सिर्फ भारत का नहीं, पूरी दुनिया का संकट बनता जा रहा है. 1980 से 2020 के बीच पूरी दुनिया में मोटापे की दर दोगुनी हो गई है. दुनिया में मोटापे की दर 1980 में 6.4 प्रतिशत थी, जो 2020 में बढ़कर 12 प्रतिशत हो गई. वहीं चीन में पुरुषों का औसत BMI 1989 से 2011 के बीच 2.65 बढ़ा, और महिलाओं का 1.90 . इससे साफ है कि मोटापा अब वैश्विक चुनौती है, जिसमें भारत के गांव भी पीछे नहीं रहे. 

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