Supreme News24

भारत-चीन के किस फैसले से बौखलाए नेपाल के पीएम ओली, SCO समिट से पहले जिनपिंग से कही ये बात


नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने शनिवार (30 अगस्त, 2025) को लिपुलेख के जरिए सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने के भारत और चीन के समझौते पर कड़ी आपत्ति जताई. ओली ने दावा किया कि यह इलाका 1816 की सुगौधी संधि के तहत नेपाल के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आता है.

के. पी. ओली ने इस संबंध में सीधे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अपने संदेश दिया. ओली ने शनिवार (31 अगस्त) को तियानजिन में द्विपक्षीय वार्ता के दौरान शी जिनपिंग से यह बात कही. नेपाली पीएम और चीनी राष्ट्रपति की यह बैठक तियानजिन में आयोजित 25वें शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन और SCO प्लस बैठक से ठीक पहले हुई.

नेपाल के विदेश सचिव ने बयान जारी कर साझा की जानकारी

नेपाल के विदेश सचिव अमृत बहादुर राय ने इस संबंध में एक बयान जारी किया है. उन्होंने कहा, ‘ओली ने शी जिनपिंग को याद दिलाया कि सुगौली संधि में महाकाली नदी को सीमा रेखा के रूप में तय किया गया था और नदी के पूर्व दिशा में स्थित सभी इलाकों को नेपाल का हिस्सा बताया गया है, जिसमें लिपुलेख भी शामिल है.’

राय ने कहा, ‘चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय बैठक में मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री ओली ने लिपुलेख मुद्दे को भी उठाया. इस मामले में उन्होंने स्पष्ट किया कि 1816 की सुगौली संधि के मुताबिक महाकाली नदी के पूर्व दिशा में पड़ने वाले सभी क्षेत्र नेपाल के हैं. ऐसे में चीन को लिपुलेख इलाके का व्यापार के लिए इस्तेमाल करने वाले इस समझौते का समर्थन नहीं करना चाहिए, क्योंकि नेपाल को इस भारत-चीन के बीच हुए इस समझौते पर आपत्ति है. यह स्पष्ट संदेश राष्ट्रपति शी जिनपिंग तक पहुंचाया गया.’

नेपाल PMO ने ओली के रुख को दोहराया

विदेश सचिव के अलावा, नेपाल के प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने भी पीएम के. पी. शर्मा ओली के इस रुख को दोहराते हुए नेपाल के पक्ष को स्पष्ट रूप से रखा. PMO ने अपने बयान में कहा, ‘राष्ट्रपति शी के साथ बैठक में पीएम ओली ने स्पष्ट रूप से लिपुलेख के नेपाली इलाके को व्यापार का रास्ता बनाने के भारत-चीन समझौते पर नेपाल की आपत्ति जताई.

भारत और चीन के समझौते के बाद फिर से उभरा विवाद

यह विवाद इस अगस्त महीने की शुरुआत में फिर से उभर कर सामने आया था, जब भारत और चीन ने नई दिल्ली में हुई बातचीत के दौरान नेपाल के दार्चुला जिले में स्थित लिपुलेख पास से व्यापार को फिर से खोलने पर सहमति जताई.

वहीं, चीन और भारत के इस समझौते के जवाब में नेपाली विदेश मंत्रालय ने 20 अगस्त को फिर से दोहराया कि नेपाल के आधिकारिक नक्शे में लिपिंयाधुरा, लिपुलेख और कालापानी उसके अभिन्न हिस्से हैं, जो नेपाल के संविधान में अंकित है. हालांकि, भारत के अपने रुख को बरकरार रखा है कि लिपुलेख पास से सीमा व्यापार 1954 से ही चला आ रहा है और यह पिछले कुछ सालों में सिर्फ कोरोना महामारी और कुछ अन्य कारणों की वजह से बाधित हुआ था. लेकिन अब भारत और चीन ने इसे फिर से शुरू करने पर सहमति जताई है.

यह भी पढ़ेंः ‘भारत-चीन के रिश्तों को तीसरे देश के नजरिए से मत देखें’, जिनपिंग से मुलाकात के बाद बोले पीएम मोदी





Source link

Thank you so much for supporting us.

Discover more from Taza News

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading