भारत में अपना पहला राजदूत नियुक्त करेगा तालिबान, कब तक होगी नियुक्ति
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार इसी महीने भारत में एक राजनयिक नियुक्त करने जा रही है. इसे भारत संग रिश्ते बेहतर और मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. बता दें कि अगस्त 2021 में काबुल लौटने के बाद से तालिबान की तरफ से दिल्ली में किसी राजनयिक की ये पहली आधिकारिक नियुक्ति होगी.
काबुल की तरफ से भारतीय अधिकारियों को बताया गया है कि इसके बाद दिसंबर के आखिर में या जनवरी की शुरुआत में एक और राजनयिक की नियुक्ति की जाएगी. साल 2025 में भारत-अफगान के बीच संबंधों में लगातार प्रगति हुई है, पिछले महीने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुतक्की की अभूतपूर्व भारत यात्रा से भी इसे समझा जा सकता है.
तालिबान ने दवाओं के लिए भारत का जताया आभार
भारत ने लगातार अफगानिस्तान को सहायता और चिकित्सा आपूर्ति जारी रखकर एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में अपनी भूमिका को और मजबूत किया है. भले ही भारत सरकार ने काबुल में तालिबानी सत्ता को आधिकारिक मान्यता न दी हो.
तालिबान के एक प्रवक्ता ने रविवार (2 नवंबर) को भारत की ओर से दी गई 16 टन से अधिक वेक्टर जनित रोग रोधी दवाओं के लिए आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा, “यह नवीनतम दान अफगानिस्तान के साथ भारत की दीर्घकालिक साझेदारी और विकासात्मक सहायता को दर्शाता है. आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति प्रदान कर भारत इस क्षेत्र में स्वास्थ्य, स्थिरता और मानवीय सहयोग को बढ़ावा देने में एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में अपनी भूमिका की पुष्टि करता है.”
कईं मायनों में अहम थी मुतक्की की भारत यात्रा
मुतक्की की भारत यात्रा कईं मायनों में काफी महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इस दौरान तालिबान ने जम्मू-कश्मीर पर भारत की संप्रभुता का समर्थन किया. बदले में भारत ने भी अफ़ग़ानिस्तान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का दृढ़ता से समर्थन किया है. ऐसे समय में जब सीमा पर भारी झड़पों के कारण तालिबान के पाकिस्तान के साथ संबंध बेहद ख़राब स्थिति में हैं.
भले ही पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच युद्धविराम हो गया हो, लेकिन तनाव बढ़ने का खतरा अभी पूरी तरह से टला नहीं है. तालिबान ने इस हफ़्ते पाकिस्तान पर अफ़ग़ानिस्तान में अराजकता फैलाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. तालिबान का कहना है कि पाकिस्तान ये सब इसलिए कर रहा है ताकि अमेरिका वापस बगराम एयरबेस पर कब्जा कर सके.
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