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रेबीज के मरीज को क्यों लगने लगता है पानी से डर, क्या है इसका कारण?


सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली एनसीआर में सभी स्ट्रे डॉग्स को 8 हफ्तों के भीतर शेल्टर होम में रखने का आदेश दिया है. इस फैसले को लेकर लोगों की मिली जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही है. कुछ लोग इसे सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए सही मानते हैं तो कुछ इसेजानवरों के अधिकारों के खिलाफ बता रहे हैं. इस आदेश का एक अहम पहलू यह है कि इसका सीधा संबंध रेबीज संक्रमण से है  से जुड़ी चिताओं से है जो कुत्ते के काटने के बाद जानलेवा साबित हो सकता है और जिसका एक गंभीर लक्षण हाइड्रोफोबिया यानी पानी से डर लगना भी है.

क्या है हाइड्रोफोबिया 

हाइड्रोफोबिया असल में पानी से जुड़ा मनोवैज्ञानिक फोबिया नहीं है. बल्कि रेबीज के आखिरी स्टेज में दिखने वाला लक्षण है. इसमें मरीज को पानी पीने की कोशिश पर गले में तेज ऐंठन होती है. जिससे वह बहुत प्यासा होने के बावजूद पानी नहीं पी पता है. यह ऐंठन इतनी तेज होती है कि पानी देखने, सुनने या उसके बारे में सोचने पर भी ट्रिगर हो सकती है. 

कैसे होता है संक्रमण 

रेबीज एक वायरल इंफेक्शन है जो आमतौर पर संक्रमित जानवर के काटने, खरोचने या लार के खुले घाव में जाने से फैलता है.  भारत में ज्यादातर केस कुत्तों से आते हैं लेकिन लोमड़ी, बिल्ली, चमगादड़ या रैकून जैसे जानवर भी इसका कारण बन सकते हैं. यह वायरस धीरे-धीरे नर्वस सिस्टम में पहुंचकर दिमाग को प्रभावित करता है और सांस व निगलने की क्रियाओं को बाधित करता है.

लक्षण, कब समझें खतरे की घंटी

रेबीज की शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे हो सकते हैं. बुखार, सिर दर्द, थकान और काटने के स्थान पर खुजली या झुनझुनी हो सकती है.  लेकिन जैसे जैसे संक्रमण बढ़ता है. मरीज में हाइड्रोफोबिया के साथ अन्य गंभीर लक्षण दिख सकते हैं. इन लक्षणों में निगलने में कठिनाई, गले में ऐंठन, सांस लेने में परेशानी, ज्यादा घबराहट और भ्रम भी हो सकता है.  साथ ही नींद न आने की समस्या और असामान्य व्यवहार या मति भ्रम भी हो सकता है. 

इलाज और बचाव 

एक बार जब हाइड्रोफोबिया जैसे क्लीनिकल लक्षण दिखने लगे तो रेबीज लगभग हमेशा घातक होता है. यहीं कारण है कि काटने के तुरंत बाद पोस्ट एक्स्पोजर प्रौफिलैक्सिस लेना जरूरी है. इसमें घाव को कम से कम 15 मिनट तक साबुन के पानी से धोना,  एंटी रेबीज वैक्सीन का कोर्स और जरूरत पड़ने पर इम्यूनोग्लोब्यूलीन का इंजेक्शन शामिल है. 

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और पब्लिक सेफ्टी

स्ट्रे डॉग्स को लेकर कोर्ट ने यह भी कहा है कि चाहे कुत्ते नसबंदीशुदा हो या नहीं, सड़कों पर किसी भी स्ट्रे डॉग्स का खुलेआम घूमना पब्लिक सेफ्टी के लिए खतरा है. हालांकि मई 2024 के एक पुराने आदेश में अदालत ने साफ किया था कि कुत्तों की अंधाधुंध हत्या नहीं की जा सकती है और सभी कार्य मौजूदा कानून के अनुरूप होने चाहिए  . इसे लेकर लोगों की भी मिली जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही है कुछ लोग इस सेफ्टी के लिए सही मान रहे हैं तो कहीं लोग इसे जानवरों के अधिकार का हनन भी मान रहे हैं.

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