लद्दाख में LAHDC चुनाव पर लगी रोक, उपराज्यपाल के प्रशासन ने बताई ये वजह
लद्दाख UT में राजनीतिक गतिरोध पैदा हो गया है, क्योंकि बहुप्रतीक्षित लद्दाख ऑटोनॉमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल (LAHDC) के चुनाव LG के नेतृत्व वाले प्रशासन ने रोक दिए हैं. LAHDC-लेह के चुनाव गैर-राजनीतिक कारणों का हवाला देते हुए रोके गए हैं, लेकिन राजनीतिक पार्टियां लोकतांत्रिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए इसका विरोध कर रही हैं.
लद्दाख प्रशासन ने लद्दाख ऑटोनॉमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल (LAHDC), लेह के चुनाव कराने में देरी के पीछे चल रहे प्रशासनिक बदलावों और महिलाओं के लिए आरक्षण के लिए संशोधनों को लागू करने का कारण बताते हुए एक आदेश जारी किया है.
LAB और KDA ने संभाली आंदोलन की कमान
यह घटनाक्रम 24 सितंबर को लेह में हुई हिंसा के कुछ हफ्ते बाद हुआ है, जब लेह एपेक्स बॉडी (LAB) की ओर से बुलाई गई आम हड़ताल के दौरान हिंसा भड़क गई थी. LAB, कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के साथ मिलकर राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची को केंद्र शासित प्रदेश में लागू करने के लिए आंदोलन कर रही है.
दिनभर चली झड़पों में चार लोगों की जान चली गई और कई लोग घायल हो गए. केंद्र सरकार ने इस घटना की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक जज की अध्यक्षता में न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. कानून और न्याय विभाग की ओर से जारी एक आदेश के अनुसार, डिप्टी कमिश्नर रोमिला सिंह को परिषद के मामलों का प्रबंधन करने का काम सौंपा गया है, क्योंकि इसका पांच साल का कार्यकाल दो दिन पहले समाप्त हो गया था.
निर्वाचन क्षेत्रों को फिर से निर्धारित करने की आवश्यकता
BJP ने पांच साल के कार्यकाल के लिए परिषद का नेतृत्व किया था, लेकिन अब नए चुनाव होने और नई परिषद बनने तक प्रशासनिक शक्तियां नौकरशाह के पास रहेंगी. लद्दाख ऑटोनॉमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल (LAHDC), लेह के छठे आम चुनाव 26 अक्टूबर, 2020 को हुए थे और परिषद का पांच साल का कार्यकाल 30 अक्टूबर को समाप्त हो गया था.
आदेश में कहा गया है, ‘चूंकि, नए जिलों के गठन की चल रही प्रक्रिया और इसके परिणामस्वरूप परिषद क्षेत्रों और निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से निर्धारित करने की आवश्यकता और LAHDC अधिनियम, 1997 में संशोधन को लागू करने की आवश्यकता को देखते हुए, जो LAHDC में महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण प्रदान करता है. इस स्तर पर एक नई LAHDC, लेह का गठन करने के लिए चुनाव कराना संभव नहीं है, क्योंकि इससे प्रतिनिधित्व संबंधी विसंगतियां और प्रशासनिक असंगतियां होंगी.’
नई काउंसिल बनने तक डिप्टी कमिश्नर देखेंगे मामले
इसमें आगे कहा गया है, ‘इसलिए, कामों को ठीक से करने के लिए, यह निर्देश दिया जाता है कि डिप्टी कमिश्नर, लेह, 31 अक्टूबर से LAHDC, लेह के मामलों को तब तक देखेंगे जब तक नए चुनाव के बाद नई काउंसिल नहीं बन जाती.’
पिछले साल 25 अगस्त को, केंद्र सरकार ने लोगों की मांग पर लद्दाख के लिए पांच नए जिलों को मंज़ूरी दी थी, तीन लेह में और दो कारगिल में. इससे UT में जिलों की कुल संख्या सात हो गई. हालांकि, ये नए जिले अभी बनने बाकी हैं.
लेह और कारगिल काउंसिल में 30-30 सीटें
केंद्र सरकार ने 3 दिसंबर, 2024 को लेह और कारगिल की दोनों हिल काउंसिल में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की भी घोषणा की. नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की ओर से शासित कारगिल हिल काउंसिल अक्टूबर 2023 में बनी थी और इसका पांच साल का कार्यकाल अक्टूबर 2028 में पूरा होगा.
पूरे लद्दाख क्षेत्र में नगर पालिकाओं और पंचायतों का कार्यकाल नवंबर-दिसंबर 2023 में पूरा हो गया था. लेह और कारगिल, दोनों हिल काउंसिल में 30-30 सीटें हैं. इनमें से 26 सीटों पर चुनाव होते हैं, जबकि चार पार्षदों को UT प्रशासन नॉमिनेट करता है.
ये भी पढ़ें:- POCSO के आरोपी को सुप्रीम कोर्ट से राहत, कहा- ‘अपराध वासना का नहीं, प्रेम का परिणाम’

