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‘लोगों के लिए अपना जीवन बलिदान किया’, नारायण गुरु के योगदान की राष्ट्रपति मुर्मू ने की सराहना



राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार (23 अक्टूबर, 2025) को कहा कि नारायण गुरु भारत के महानतम आध्यात्मिक नेताओं और समाज सुधारकों में से एक थे, जिनकी समानता, एकता और सार्वभौमिक प्रेम की शिक्षाएं आज भी अत्यधिक प्रासंगिक हैं.

केरल के वर्कला में शिवगिरि मठ में गुरु की महा समाधि के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि गुरु ने लोगों को अज्ञानता और अंधविश्वास से मुक्त करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया और पीढ़ियों को हर इंसान में दिव्यता देखने के लिए प्रेरित किया.

‘मानवता के प्रति प्रेम के आदर्शों को किया प्रेरित’

राष्ट्रपति ने नारायण गुरु को भारत के महानतम आध्यात्मिक नेताओं और समाज सुधारकों में से एक बताया, जिन्होंने देश के सामाजिक और आध्यात्मिक परिदृश्य को बदल दिया. मुर्मू ने कहा, ‘उन्होंने पीढ़ियों को समानता, एकता और मानवता के प्रति प्रेम के आदर्शों में विश्वास करने के लिए प्रेरित किया. गुरु ने लोगों को अज्ञानता और अंधविश्वास के अंधेरे से मुक्त करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया.’

नारायण गुरु ने शिक्षा को दिया बढ़ावा

उन्होंने कहा कि नारायण गुरु सभी अस्तित्वों की एकता में विश्वास किया और हर जीवित प्राणी में ईश्वर को दिव्य उपस्थिति के रूप में देखा. गुरु के ‘मानव जाति के लिए एक जाति, एक धर्म, एक ईश्वर’ के संदेश ने आस्था, जाति और पंथ की सभी बाधाओं को पार कर लिया.

राष्ट्रपति ने कहा, ‘उनका मानना था कि वास्तविक मुक्ति अंधविश्वास से नहीं, बल्कि ज्ञान और करुणा से आती है. उन्होंने आत्म-शुद्धि, सादगी और सार्वभौमिक प्रेम पर भी जोर दिया.’ गुरु के शिक्षा और सामाजिक उत्थान में योगदान पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने मंदिरों, स्कूलों और संस्थानों की स्थापना की, जो सीखने और नैतिक विकास के केंद्र के रूप में कार्य करते है.

जाति या धर्म के भेद के बिना भाईचारे को रखा सर्वोपरि

मुर्मू ने कहा, ‘इन संस्थानों के माध्यम से, उन्होंने उत्पीड़ित समुदायों के बीच साक्षरता, आत्मनिर्भरता और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा दिया. उनके कार्य मानव जीवन और आध्यात्मिकता की उनकी गहन समझ को दर्शाते हैं.’ उन्होंने कहा कि गुरु ने मानवता के साथ शाश्वत आदर्शों को साझा किया.

राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने अपनी शिक्षाओं के माध्यम से बताया कि दुनिया एक आदर्श निवास स्थान है, जहां सभी लोग जाति या धर्म के भेद के बिना भाईचारे से रहते हैं. मुर्मू ने कहा कि गुरु का संदेश आधुनिक दुनिया में पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है.

राष्ट्रपति ने लोगों से किया आग्रह

उन्होंने कहा, ‘एकता, समानता और आपसी सम्मान के लिए उनका आह्वान मानवता के सामने आने वाले संघर्षों का एक कालातीत समाधान प्रदान करता है. उनकी शिक्षाएं हमें याद दिलाती हैं कि सभी मनुष्य एक ही दिव्य सार को साझा करते हैं.’

राष्ट्रपति ने लोगों से उनके आदर्शों पर जीने का प्रयास करने, हर व्यक्ति के साथ गरिमा के साथ व्यवहार करने, निःस्वार्थ भाव से सेवा करने और हर व्यक्ति में दिव्यता देखने की आकांक्षा रखने का आग्रह किया. राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर ने कहा, ‘गुरु केवल एक आध्यात्मिक प्रतीक नहीं हैं; वह अपनी आशीषों और शिक्षाओं के माध्यम से आज भी जीवित हैं. मानवता और समानता का उनका संदेश हर दिन अधिक प्रासंगिक होता जा रहा है.’

ट्रस्ट ने राष्ट्रपति को शॉल और स्मृति चिन्ह किया भेंट 

उन्होंने स्वामी विवेकानंद के इस दर्शन में गुरु के विश्वास को भी याद किया कि मानवता की सेवा ही ईश्वर की सेवा है. मुर्मू ने महान समाज सुधारक और आध्यात्मिक नेता की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और दो साल तक चलने वाले शताब्दी समारोहों का उद्घाटन हो गया. श्री नारायण धर्म संगम ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद ने राष्ट्रपति को एक शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट किया.

स्वामी सच्चिदानंद ने कहा कि दो साल तक चलने वाले शताब्दी समारोहों में आध्यात्मिक प्रवचन, सामाजिक सेवा पहल और शैक्षिक कार्यक्रम शामिल होंगे, जिनका उद्देश्य गुरु के एकता और सार्वभौमिक भाईचारे के संदेश को फैलाना है. इस कार्यक्रम में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर, सांसद अडूर प्रकाश, राज्य के मंत्री वी एन वासन, वी शिवनकुट्टी और विधायक वी जॉय सहित अन्य लोग उपस्थित थे.

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