शेख हसीना के तख्तापलट के बाद सियासी हिंसा में 281 की मौत, यूनुस सरकार की जमकर हो रही थू-थू
बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद पिछले एक साल में राजनीतिक हिंसा के हालात बेहद खराब रहे हैं. छात्र आंदोलन के चलते अगस्त 2024 में हसीना को पद छोड़कर भारत जाना पड़ा था, और तभी से देश में अस्थिरता का दौर जारी है. अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस भले ही सबकुछ ठीक होने का दावा कर रहे हों, लेकिन उनकी जमकर थू-थू हो रही है. ढाका के मानवाधिकार संगठन ओधिकार ने अपनी ताजा रिपोर्ट में बताया है कि अगस्त 2024 से सितंबर 2025 के बीच लगभग 300 लोग राजनीतिक हिंसा और भीड़ हमलों में मारे गए.
एक साल में 281 लोगों की राजनीतिक झगड़ों में मौत
ओधिकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अवधि में 281 लोग विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच हुई हिंसा में मारे गए. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अपराधों के शक में 40 लोगों की गैरकानूनी तरीकों से हत्या कर दी गई, जबकि 153 लोगों की मौत भीड़ द्वारा पीट-पीटकर कर दी गई.
पुलिस की जवाबदेही पर सवाल
ओधिकार के निदेशक एएसएम नसीरुद्दीन एलन ने कहा कि हसीना शासन की तुलना में मानवाधिकार उल्लंघन में कमी आई है, लेकिन पुलिस और कानून-व्यवस्था अभी भी खराब स्थिति में है. उन्होंने बताया कि हिरासत में मौतें, रिश्वतखोरी और पीड़ितों के साथ उत्पीड़न अब भी हो रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि आवामी लीग से जुड़ाव के शक में कई निर्दोष लोगों को सजा भुगतनी पड़ रही है, जबकि यह पार्टी अब प्रतिबंधित है.
हसीना सरकार में बड़े पैमाने पर दमन का इतिहास
एलन ने याद दिलाया कि शेख हसीना के 15 साल के शासन में मानवाधिकारों का व्यापक उल्लंघन हुआ था. उस दौरान विपक्षी नेताओं को बड़ी संख्या में गिरफ्तार किया गया, कई मामलों में गैर-न्यायिक हत्याएं हुईं और कई लोग जबरन गायब हो गए थे.
राजनीतिक दलों पर वसूली के आरोप
रिपोर्ट में कहा गया है कि हसीना सरकार गिरने के बाद भी राजनीतिक दलों द्वारा आम लोगों से वसूली की शिकायतें लगातार मिल रही हैं. इसमें बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी, एंटी-डिस्क्रिमिनेशन स्टूडेंट मूवमेंट और जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों का नाम शामिल बताया गया है. इन दलों पर आम नागरिकों से पैसे वसूलने और दबाव बनाने के आरोप लगाए गए हैं.
पुलिस की कमजोरी के कारण भीड़ हमलों में तेजी
ओधिकार की रिपोर्ट के मुताबिक देश में भीड़ हिंसा की घटनाएं इसलिए बढ़ी हैं क्योंकि पुलिस का ढांचा काफी कमजोर हो गया है. रिपोर्ट ने आरोप लगाया कि पूर्व सरकार ने पुलिस का राजनीतिक उपयोग किया, जिससे उनकी कार्यक्षमता और मनोबल दोनों गिर गए. यही वजह है कि कानून-व्यवस्था पर्याप्त रूप से काम नहीं कर पा रही. ओधिकार की इस रिपोर्ट पर अभी तक बांग्लादेश की अंतरिम सरकार या किसी प्रमुख राजनीतिक दल की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

