‘सबसे काला धब्बा’, इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर सिख विरोधी दंगों को याद कर बोले हरदीप सिंह पुरी
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार (31 अक्टूबर, 2025) को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर दिल्ली में 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों को याद किया और इन्हें स्वतंत्र भारत के इतिहास के सबसे काले धब्बों में से एक करार दिया.
पुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किए अपने पोस्ट में एक निजी याद भी साझा की, जब दिल्ली और कई अन्य शहरों में भड़की हिंसा के बीच उनके माता-पिता को दक्षिण दिल्ली स्थित उनके घर से समय रहते बचाया गया था. उन्होंने कहा, ‘आज हम स्वतंत्र भारत के इतिहास के सबसे काले धब्बों में से एक की बरसी मना रहे हैं.’
सिख विरोध दंगों के पीड़ितों की कहानियों को भाजपा ने किया शेयर
भाजपा ने सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों की पीड़ा की कहानियां भी एक्स प्लेटफॉर्म पर कई पोस्ट में साझा कीं. भाजपा ने कहा, ‘1984 का आघात आज भी उन लोगों को सताता है, जिन्होंने इसे झेला था. कई स्वतंत्र रिपोर्ट के अनुसार, पूरे भारत में लगभग 16,000 सिख मारे गए थे.’
पुरी ने कहा, ‘वह आज भी 1984 के उन दिनों को याद करके सिहर उठते हैं, जब असहाय और निर्दोष सिख पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का बिना सोचे-समझे नरसंहार किया गया था और उनकी संपत्तियों और पूजा स्थलों में कांग्रेस नेताओं और उनके साथियों के नेतृत्व में हत्यारी भीड़ ने तोड़ फोड़ की थी.’
इंदिरा गांधी की हत्या का बदला लेने के लिए हुई थी हिंसा- पुरी
राजनयिक से नेता बने पुरी ने कहा, ‘यह सब इंदिरा गांधी की नृशंस हत्या का बदला लेने के नाम पर किया गया.’ उन्होंने कहा कि सिख संगत के अन्य सदस्यों की तरह, यह हिंसा उनके घर के भी पास हुई. मंत्री ने कहा, ‘उस समय मैं युवा था, प्रथम सचिव था और जेनेवा में तैनात था. मैं अपने माता-पिता की सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित था. वे SFS, हौज खास में DDA फ्लैट में रहते थे. मेरे हिंदू मित्र ने समय रहते उन्हें बचा लिया और खान मार्केट में मेरे दादा-दादी के घर की पहली मंजिल पर ले गए. दिल्ली और कई अन्य शहरों में अकल्पनीय हिंसा भड़की हुई थी.’
सिखों की पहचान के लिए मतदाता सूचियों का किया गया था इस्तेमाल- पुरी
पुरी ने कहा कि भारत न केवल अपने अल्पसंख्यकों को सुरक्षित रखता है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बिना किसी पूर्वाग्रह या भेदभाव के सबका साथ, सबका विकास भी सुनिश्चित करता है. उन्होंने कहा कि जब सिखों को उनके घरों, वाहनों और गुरुद्वारों से बाहर निकाला जा रहा था और जिंदा जलाया जा रहा था, तब पुलिस भी मूकदर्शक बनी रही.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सिखों के घरों और संपत्तियों की पहचान के लिए मतदाता सूचियों का इस्तेमाल किया गया और कई दिनों तक भीड़ को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया गया. बल्कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती हिलती है वाले अपने बयान से प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सिखों के नरसंहार को अपना खुला समर्थन दिया.
गुरुद्वारों के बाहर भीड़ का नेतृत् करते नजर आए कांग्रेस नेता- पुरी
पुरी ने कहा कि कांग्रेस नेता गुरुद्वारों के बाहर भीड़ का नेतृत्व करते नजर आए और पुलिस भी खड़ी होकर देखती रही. कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिन संस्थाओं का गठन किया गया था, उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज को नजरअंदाज किया और इन नेताओं को खुली छूट दी. नेताओं ने एक कांग्रेस विधायक के घर पर बैठक की और निर्णय लिया कि सिखों को सबक सिखाया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि कारखानों से ज्वलनशील पाउडर और रसायन खरीदे गए और उन्हें भीड़ को सौंप दिया गया. वर्षों बाद नानावटी आयोग ने भी इसकी पुष्टि की. यहां तक कि उनकी अपनी रिपोर्ट ने भी उसी बात की पुष्टि की, जो जीवित बचे लोग हमेशा से जानते थे और वह यह थी कि कांग्रेस नरसंहार को रोकने में विफल नहीं हुई, बल्कि उसने इसे होने दिया. बाद में, कांग्रेस दशकों तक सिख विरोधी हिंसा को नकारती रही. उन्होंने अपराधियों को बचाया और उन्हें इनाम के तौर पर अच्छे पद (यहां तक कि चुनाव लड़ने के लिए पार्टी टिकट भी) दिए.
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