Supreme News24

सिर्फ 40,000 रुपये मुआवजा… ट्रेनिंग में दिव्यांग हुए करीब 500 कैडेट्स के लिए SC ने केंद्र से पूछा- बताएं, इनके लिए आपके पास क्या स्कीम है?


सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (18 अगस्त, 2025) को सेना की ऑफिसर ट्रेनिंग के दौरान चोटिल हो जाने वाले पूर्व कैडेट की स्थिति पर संज्ञान लेकर सुनवाई की. कोर्ट ने सरकार से दिव्यांग हो चुके कैडेट को सहायता राशि देने, इलाज का खर्च उठाने और स्थिति सुधरने पर सेना में उपयुक्त पद देने पर विचार करने को कहा है. कोर्ट ने भविष्य में सभी कैडेट को ग्रुप इंश्योरेंस के दायरे में लाने का भी सुझाव दिया है, जिस पर केंद्र ने जवाब दाखिल करने की बात कही है.

जिस मीडिया रिपोर्ट पर कोर्ट ने संज्ञान लिया है, उसमें बताया गया था कि देश में इस तरह के लगभग 500 कैडेट हैं जो नेशनल डिफेंस एकेडमी या इंडियन मिलिट्री एकेडमी में ट्रेनिंग लेते समय दिव्यांग हो गए. यह कैडेट ऑफिसर के तौर पर कमीशंड नहीं हुए थे, इसलिए इन्हें पूर्व सैनिक का दर्जा नहीं हासिल है. उन्हें बहुत कम मासिक गुजारा राशि मिलती है, जो जीवन चलाने या मेडिकल बिल का खर्च उठाने के लिए नाकाफी है.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस बी. वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने सवाल किया कि क्या ट्रेनी कैडेट्स किसी इंश्योरेंस कवर के अंतर्गत आते हैं या नहीं, साथ ही कोर्ट ने इस बात पर भी चिंता जताई कि अगर ये ट्रेनिंग के दौरान चोटिल होने की वजह से दिव्यांग हो जाते हैं तो इन्हें सिर्फ 40 हजार रुपये मुआवजा राशि के अलावा कुछ और नहीं दिया जाता है.

बेंच के सवाल पर कोर्ट को बताया गया कि ट्रेनी कैडेट्स के लिए कोई इंश्योरेंस कवर नहीं है. उन्होंने कहा कि कई कैडेट्स तो ऐसे हैं, जिन्हें अनुग्रह राशि भी नहीं दी गई. यह इकलौता ऐसा वर्ग है, जिन्हें पेंशन से भी कम अनुग्रह राशि मिलती है.

कोर्ट ने केंद्र को सुझाव दिया कि ट्रेनी कैडेट्स को ग्रुप इंश्योरेंस में लाया जा सकता है. बेंच ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि और लोग भी सेना में आए. अगर ट्रेनी कैडेट्स को बेसहारा छोड़ दिया गया तो ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण होगा.’ बेंच ने कहा कि कोई इस बात का अनुमान भी नहीं लगा सकता कि उन्हें आसानी से डिस्चार्ज मिलेगा भी या नहीं और आप उन्हें सिर्फ 40 हजार रुपये का मुआवजा दे रहे हैं.

कोर्ट ने कहा कि ये दुर्भाग्य की बात है कि ट्रेनिंग के दौरान उनके साथ हादसा हुआ और इसमें उनकी गलती भी नहीं थी. केंद्र बताए कि कैसे उनकी देखभाल की जाएगी. कोर्ट ने केंद्र से कहा कि अगर इन लोगों को पूर्व सैनिक का दर्जा नहीं दिया जा रहा है तो भी उनको कुछ लाभ तो मिलना चाहिए.

कोर्ट ने कहा कि कुछ लोग ऐसे भी होंगे जो सेना में वापस भर्ती होने योग्य हैं, उनका फिर से मूल्यांकन करें. अगर वे डेस्क जॉब करने में सक्षम हैं तो उनको वहां भर्ती किया जाए या इसी तरह की किसी और जॉब में. उन्हें कोई और ट्रेनिंग दी जाए.

कोर्ट ने केंद्र से ट्रेनी कैडेट्स के लिए एक स्कीम तैयार करने के लिए कहा है और यह भी बताने को कहा है कि क्या मेडिकल खर्च, इंश्योरेंस और इन्हें कोई अनुग्रह राशि दी जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि इलाज के बाद उनका नए सिरे से मूल्यांकन किया जाए कि क्या उन्हें किसी अन्य नौकरी के लिए ट्रेनिंग दी जा सकती है. केंद्र की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एश्वर्या भाटी ने कहा कि इस पर व्यापक रूप से जवाब दाखिल किया जाएगा.

(निपुण सहगल के इनपुट के साथ)



Source link

Thank you so much for supporting us.

Discover more from Taza News

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading