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10 लाख आवारा कुत्ते, 2000 शेल्टर होम चाहिए… दिल्ली-NCR में स्ट्रीट डॉग्स को लेकर दिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश में क्या-क्या चुनौतियां?


सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (11 अगस्त 2025) को दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया, जिसके बाद देश में एक बड़ी बहस छिड़ गई है. पेट लवर्स इस फैसले की अमानवीय बताते हुए इसकी आलोचना कर रहे हैं. वहीं कई लोगों ने इस फैसले स्वागत किया और कहा कि आवारा कुत्ते अकसर बच्चों और बुजुर्गों पर हमला कर देते हैं. इस बीच एक अहम सवाल उठ रहा है कि क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल हो पाएगा?

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि दिल्ली-एनसीआर के आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में शिफ्ट किया जाए. कोर्ट ने जोर देकर कहा है कि सड़कें आवारा कुत्तों से पूरी तरह मुक्त होनी चाहिए. नगर निकायों 8 हफ्तों के भीतर स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है. 

दिल्ली में करीब 10 लाख स्ट्रीट डॉग्स

दिल्ली में लाखों आवारा कुत्ते हैं और सबको ऐसे शेल्टर होम तक पहुंचाने का कवायद है, जिसका अभी तक कोई अस्तित्व ही नहीं है. यह एक ऐसा काम है जिसमें काफी पैसा और समय लगेगा. दिल्ली में 2009 में हुए सर्वेक्षण के मुताबिक यहां करीब 5.6 लाख आवारा कुत्ते पाए गए थे. पिछले 16 वर्षों में ऐसा कोई सर्वेक्षण नहीं किया गया है, लेकिन अनुमान है कि अब दिल्ली में आवारा कुत्तों की संख्या लगभग 10 लाख है.

दिल्ली में फिलहाल 20 पशु नियंत्रण केंद्र

अगर हर शेल्टर होम में 500 कुत्ते भी रखे जाएं, तब भी 2000 शेल्टर की आवश्यकता होगी. वर्तमान में, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) केवल 20 पशु नियंत्रण केंद्र चलाता है. ये केंद्र कुत्तों की नसबंदी और देखभाल का काम होता है. अगर इन सभी सेंटर को डॉग शेल्टर होम के तब्दील कर दिया जाए फिर भी इनमें 5 हजार से ज्यादा जानवर नहीं रह पाएंगे.

न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक एमसीडी की स्थायी समिति के अध्यक्ष सत्य शर्मा ने बताया कि वे कोर्ट के आदेश को लागू करने का हर संभव प्रयास करेंगे. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि जमीन आवंटन में चुनौतियों के कारण कुत्तों के लिए शेल्टर होम तैयार करने में समय लगेगा.

कुत्तों को पकड़ने के लिए MCD के पास हर जोन में 2-3 वैन

एमसीडी के पास वर्तमान में हर जोन में कुत्तों को पकड़ने के लिए लगभग 2-3 वैन हैं और पर्याप्त ट्रेंड हैंडलर नहीं हैं. ऐसे में आवासीय क्षेत्र में आवारा कुत्तों को इकट्ठा करना उतना आसान नहीं होगा. ये भी संभावना जताई जा रही है कि पेट लवर्स आवासीय क्षेत्रों में कुत्तों को पकड़ने का विरोध करेगें, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो सकती है. एक और चुनौती शेल्टर होम में होने वाले रोजाना खर्च का भी है. एमसीडी को इस पर सालाना सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे.

इन शेल्टर होम में जानवरों का एंबुलेंस, डॉक्टर्स और सीसीटीवी कैमरों जैसे अन्य संसाधनों के साथ-साथ अधिक पैसे की भी जरूरत होगी. इसके अलावा इन कुत्तों की देखभाल के लिए कर्मचारियों को बढ़ाना होगा. एमसीडी अधिकारियों ने कहा है कि वे शेल्टर होम के निर्माण और उस पर होने वाले खर्च पर चर्चा करने के लिए बैठक करेंगे.

दिल्ली में कुत्तों के काटने के इस साल 26 हजार मामले

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अब तक दिल्ली में कुत्तों के काटने के 26,000 मामले सामने आए हैं. इस साल 31 जुलाई तक राष्ट्रीय राजधानी में रेबीज के 49 मामले सामने आए हैं और जनवरी से जून के बीच 65,000 से ज्यादा आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण किया गया है.



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