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40 की उम्र पार करते ही महिला और पुरुष को कराने चाहिए ये टेस्ट, यहां देख लें अलग-अलग लिस्ट


पुरुषों में 40 की उम्र के बाद प्रोस्टेट ग्रंथि में कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. इसे समय रहते पहचानना बहुत जरूरी है. इसके लिए टेस्ट अलग-अलग हैं. जैसे PSA टेस्ट, यह ब्लड टेस्ट है जो प्रोस्टेट से जुड़े एंटीजन के स्तर को मापता है, DRE, डॉक्टर प्रोस्टेट ग्रंथि को सीधे जांचते हैं और प्रोस्टेट बायोप्सी, प्रोस्टेट के टिशू का नमूना लेकर जांच की जाती है.

पुरुषों में 40 की उम्र के बाद प्रोस्टेट ग्रंथि में कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. इसे समय रहते पहचानना बहुत जरूरी है. इसके लिए टेस्ट अलग-अलग हैं. जैसे PSA टेस्ट, यह ब्लड टेस्ट है जो प्रोस्टेट से जुड़े एंटीजन के स्तर को मापता है, DRE, डॉक्टर प्रोस्टेट ग्रंथि को सीधे जांचते हैं और प्रोस्टेट बायोप्सी, प्रोस्टेट के टिशू का नमूना लेकर जांच की जाती है.

40 के बाद पुरुषों में मूत्राशय कैंसर का खतरा भी बढ़ता है. इसके लिए समय-समय पर यूरिन टेस्ट या अन्य जांच कराना जरूरी है.

40 के बाद पुरुषों में मूत्राशय कैंसर का खतरा भी बढ़ता है. इसके लिए समय-समय पर यूरिन टेस्ट या अन्य जांच कराना जरूरी है.

पुरुषों में 40 की उम्र के बाद डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है. ब्लड शुगर टेस्ट से टाइप 2 डायबिटीज का पता चलता है. इस उम्र में  शुगर होने का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए नियमित जांच जरूरी है.

पुरुषों में 40 की उम्र के बाद डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है. ब्लड शुगर टेस्ट से टाइप 2 डायबिटीज का पता चलता है. इस उम्र में शुगर होने का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए नियमित जांच जरूरी है.

महिलाओं के लिए जरूरी टेस्ट में पहला सीबीसी टेस्ट है. सीबीसी टेस्ट एक ब्लड टेस्ट है जो शरीर में रेड ब्लड सेल्स , व्हाइट ब्लड सेल्स, प्लेटलेट्स और हीमोग्लोबिन की मात्रा को मापता है. यह टेस्ट एनीमिया, संक्रमण और कुछ कैंसर का पता लगाने में मदद करता है.

महिलाओं के लिए जरूरी टेस्ट में पहला सीबीसी टेस्ट है. सीबीसी टेस्ट एक ब्लड टेस्ट है जो शरीर में रेड ब्लड सेल्स , व्हाइट ब्लड सेल्स, प्लेटलेट्स और हीमोग्लोबिन की मात्रा को मापता है. यह टेस्ट एनीमिया, संक्रमण और कुछ कैंसर का पता लगाने में मदद करता है.

महिलाओं के लिए 40 की उम्र के बाद किडनी के स्वास्थ्य के लिए किडनी फंक्शन टेस्ट टेस्ट जरूरी है. इसमें ब्लड में क्रिएटिनिन, यूरिया और यूरिक एसिड की मात्रा मापी जाती है. इससे किडनी की कार्यप्रणाली का सही अंदाजा लगता है.

महिलाओं के लिए 40 की उम्र के बाद किडनी के स्वास्थ्य के लिए किडनी फंक्शन टेस्ट टेस्ट जरूरी है. इसमें ब्लड में क्रिएटिनिन, यूरिया और यूरिक एसिड की मात्रा मापी जाती है. इससे किडनी की कार्यप्रणाली का सही अंदाजा लगता है.

40 की उम्र के बाद महिलाओं को नियमित रूप से स्तन कैंसर की जांच करवानी चाहिए. जैसे मैमोग्राम टेस्ट, यह टेस्ट स्तन में किसी भी असामान्य गांठ का पता लगाने में मदद करता है, CA 15-3 टेस्ट, यह ब्लड में स्तन कैंसर से जुड़े प्रोटीन के स्तर को मापता है.

40 की उम्र के बाद महिलाओं को नियमित रूप से स्तन कैंसर की जांच करवानी चाहिए. जैसे मैमोग्राम टेस्ट, यह टेस्ट स्तन में किसी भी असामान्य गांठ का पता लगाने में मदद करता है, CA 15-3 टेस्ट, यह ब्लड में स्तन कैंसर से जुड़े प्रोटीन के स्तर को मापता है.

40 की उम्र के बाद महिलाओं को कोलन और रेक्टल कैंसर टेस्ट भी करवाना चाहिए. CEA टेस्ट रक्त में CEA प्रोटीन के स्तर को मापता है. बढ़ा हुआ स्तर कोलन या रेक्टल कैंसर का संकेत दे सकता है.

40 की उम्र के बाद महिलाओं को कोलन और रेक्टल कैंसर टेस्ट भी करवाना चाहिए. CEA टेस्ट रक्त में CEA प्रोटीन के स्तर को मापता है. बढ़ा हुआ स्तर कोलन या रेक्टल कैंसर का संकेत दे सकता है.

Published at : 04 Nov 2025 06:12 PM (IST)



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