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70 वर्षीय महिला हुईं डिजिटल अरैस्ट का शिकार! ठगों ने खाते से उड़ा दिए 21 लाख रुपये, जानें पूरा मामला


यह घटना 5 अगस्त की सुबह शुरू हुई जब महिला को एक अनजान नंबर से वीडियो कॉल आया. कॉल करने वाले ने खुद को पुलिस कमिश्नर बताया और आरोप लगाया कि महिला के आधार कार्ड का इस्तेमाल आतंकवाद से जुड़ी फंडिंग में किया गया है.

यह घटना 5 अगस्त की सुबह शुरू हुई जब महिला को एक अनजान नंबर से वीडियो कॉल आया. कॉल करने वाले ने खुद को पुलिस कमिश्नर बताया और आरोप लगाया कि महिला के आधार कार्ड का इस्तेमाल आतंकवाद से जुड़ी फंडिंग में किया गया है.

ठग ने कहा कि महिला ने आधार का इस्तेमाल करके किसी तीसरे व्यक्ति को कैनरा बैंक खाता खोलने में मदद की जिसके एवज में उन्हें 20 लाख रुपये कमीशन मिला है. इतना ही नहीं, उसने यह भी दावा किया कि इस मामले की CBI जांच चल रही है और महिला के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी हो चुका है.

ठग ने कहा कि महिला ने आधार का इस्तेमाल करके किसी तीसरे व्यक्ति को कैनरा बैंक खाता खोलने में मदद की जिसके एवज में उन्हें 20 लाख रुपये कमीशन मिला है. इतना ही नहीं, उसने यह भी दावा किया कि इस मामले की CBI जांच चल रही है और महिला के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी हो चुका है.

साइबर अपराधी ने महिला को विश्वास दिलाया कि उन्हें 19 अगस्त तक डिजिटल अरेस्ट में रखा गया है और वे कानूनी रूप से बाध्य हैं. गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए महिला को धीरे-धीरे 21 लाख रुपये उस खाते में ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया गया जिसे ठग ने बताया था.

साइबर अपराधी ने महिला को विश्वास दिलाया कि उन्हें 19 अगस्त तक डिजिटल अरेस्ट में रखा गया है और वे कानूनी रूप से बाध्य हैं. गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए महिला को धीरे-धीरे 21 लाख रुपये उस खाते में ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया गया जिसे ठग ने बताया था.

बाद में महिला को एहसास हुआ कि वे धोखाधड़ी का शिकार हो चुकी हैं. उन्होंने तुरंत कोपरखैराने पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने मामला दर्ज कर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धोखाधड़ी से संबंधित धाराओं के तहत जांच शुरू कर दी है.

बाद में महिला को एहसास हुआ कि वे धोखाधड़ी का शिकार हो चुकी हैं. उन्होंने तुरंत कोपरखैराने पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने मामला दर्ज कर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धोखाधड़ी से संबंधित धाराओं के तहत जांच शुरू कर दी है.

जांच अधिकारियों ने बताया कि ठग का दावा पहली नजर में ही संदेहास्पद था क्योंकि विश्वांस नांगरे पाटिल वास्तव में अतिरिक्त DGP (भ्रष्टाचार निरोधक विभाग) हैं, न कि पुलिस कमिश्नर. पुलिस ने इस मामले को उदाहरण बनाकर लोगों को आगाह किया है कि बढ़ते “डिजिटल अरेस्ट स्कैम्स” से सतर्क रहें.

जांच अधिकारियों ने बताया कि ठग का दावा पहली नजर में ही संदेहास्पद था क्योंकि विश्वांस नांगरे पाटिल वास्तव में अतिरिक्त DGP (भ्रष्टाचार निरोधक विभाग) हैं, न कि पुलिस कमिश्नर. पुलिस ने इस मामले को उदाहरण बनाकर लोगों को आगाह किया है कि बढ़ते “डिजिटल अरेस्ट स्कैम्स” से सतर्क रहें.

Published at : 25 Aug 2025 02:01 PM (IST)


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