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Antim Sanskar: हिंदू धर्म में रात में क्यों नहीं होता अंतिम संस्कार? गरुड़ पुराण में छिपा है इसका रहस्य!


Antim Sanskar: हमारे व्यक्तिगत जीवन में कई लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें हम काफी प्रेम करते हैं. लेकिन जैसे ही इनकी मृत्यु होती है, हमें काफी दुख पहुंचता है, बावजूद इसके हम उनका अंतिम संस्कार करते हैं. हिंदू धर्म में गरुड़ पुराण का विशेष महत्व होता है. 

गरुड़ पुराण में अंतिम संस्कार को लेकर कई तरह की बातों का जिक्र किया गया है. जिसका पालन करना बेहद जरूरी होता है. गरुड़ पुराण के मुताबिक हिंदू धर्म में कभी भी सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार क्रिया को नहीं किया जाता है. आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह क्या है?

रात के समय क्यों नहीं होता अंतिम संस्कार?
सनातन धर्म से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति का अंतिम संस्कार कभी भी रात के समय नहीं किया जाता है. दरअसल हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक के 16 संस्कारों का जिक्र किया गया है. जहां शव को विधि विधान से जलाया जाता है.

माना जाता है कि, सूर्यास्त के बाद स्वर्ग के दरवाजे बंद हो जाते हैं और नर्क के द्वार खुल जाते हैं. ऐसे में मृत आत्मा को नर्क जाना पड़ सकता है. 

मुखाग्रि देने का अधिकार स्त्री को क्यों नहीं?
मान्यता ये भी है कि जबतक शव का अंतिम संस्कार न हो जाए आत्मा शव के आसपास ही भटकती रहती है. इसके अलावा रात के समय अंतिम संस्कार करने से अगले जन्म में व्यक्ति के अंग में किसी भी तरह का दोष हो सकता है.

इसलिए देर शाम या रात होने पर सूर्यादय के बाद ही व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया जाता है. 

गरुड़ पुराण के मुताबिक किसी स्त्री को मुखाग्नि देने का अधिकार नहीं होता है. किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसको मुखाग्नि उसका बेटा, भतीजा, पति या पिता ही दे सकता है.

स्त्रियों को मुखाग्नि देने का अधिकार इसलिए नहीं है, क्योंकि स्त्री पराया धन होती है और वंशवृद्धि के जिम्मा पुत्र पर ही होता है, इसलिए स्त्री मुखाग्नि नहीं दे सकती है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. 



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