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BJP को फिर आंख दिखा गए नीतीश कुमार, मंच पर ताकते ही रह गए सम्राट चौधरी!


बीजेपी के साथ सहजता के साथ सरकार चलाने वाले नीतीश कुमार कुछ न कुछ ऐसा कर ही जाते हैं कि बीजेपी असहज हो जाती है. अभी हाल ही में बिहार के बक्सर दौरे पर पहुंचे मुख्यमंत्री ने कुछ ऐसा ही किया है. उन्होंने गठबंधन के सहयोगियों के राय मशवरे के बिना ही ऐसा काम कर दिया है कि विपक्ष इस गठबंधन पर ही सवाल उठाने लगा है और बीजेपी को इसका जवाब देते भी नहीं बन पा रहा है. 

बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं. एनडीए में अभी तक जेडीयू और बीजेपी के अलावा चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी शामिल है. कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा, ये अभी तक तय नहीं है, लेकिन मोटा-माटी एक सहमति बनती दिख रही है. और इस सहमति में कहा जा रहा है कि बिहार में जेडीयू बड़े भाई की भूमिका में रहेगा यानि कि बीजेपी से कम से कम एक सीट ज्यादा लड़ेगा. 

BJP को फिर आंख दिखा गए नीतीश कुमार, मंच पर ताकते ही रह गए सम्राट चौधरी!

एक समीकरण भी सामने आया है, जिसमें जेडीयू 102 सीटों पर, बीजेपी 102 सीटों पर, चिराग 20 सीटों पर और मांझी-कुशवाहा 10-10 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं. हालांकि ये कोई अंतिम समीकरण नहीं है और न ही कोई आधिकारिक आंकड़ा है, जिसे किसी भी पार्टी ने जारी किया हो. ये महज सियासी कयासबाजी है.

कुछ भी तय नहीं है. न सीट की संख्या और न ही विधानसभा कि कौन, कहां से लड़ेगा. ऐसे में किसी भी पार्टी को अपना उम्मीदवार उतारने में मशक्कत करनी पड़ रही है, क्योंकि कुछ तय नहीं है. लेकिन इस किंतु-परंतु के बीच ही नीतीश कुमार ने अपने पहले उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है और यही बीजेपी के लिए परेशानी की बात है. नीतीश कुमार ने बक्सर की राजपुर सुरक्षित सीट से पूर्व मंत्री संतोष निराला के नाम का ऐलान कर दिया है और वो भी तब जब ये तय ही नहीं है कि राजपुर सीट किसके खाते में जाएगी.

BJP को फिर आंख दिखा गए नीतीश कुमार, मंच पर ताकते ही रह गए सम्राट चौधरी!

नीतीश कुमार ने ये ऐलान उस वक्त किया है, जब मंच पर उऩके साथ बीजेपी नेता और बिहार के उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी मौजूद थे. नीतीश कुमार संतोष निराला के नाम का ऐलान कर रहे थे और सम्राट चौधरी चुपचाप उस ऐलान को सुनने को मजबूर थे.

नीतीश कुमार ने जिस संतोष निराला के नाम का ऐलान किया है, वो 2020 में चुनाव हार चुके हैं. उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी ने मात दी थी. ऐसे में हारे हुए प्रत्याशी पर दांव लगाकर नीतीश ने एनडीए को ये संदेश तो दे ही दिया है कि सीट बंटवारे में अपर हैंड तो उनका खुद का ही रहेगा, भले ही बीजेपी जो चाहे कहे, जो चाहे करे. 

नीतीश के इस ऐलान से बीजेपी में असहजता तो जरूर होगी, वहीं विपक्ष के लिए भी अपने पत्ते खोलने का दबाव बढ़ने लगेगा. ऐसे में उम्मीद है कि 9 सितंबर को उपराष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग के बाद बिहार को लेकर वो तमाम फैसले हो जाएं, जिसका इंतजार हर बिहारी को है. 



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