Chhattisgarh Train Accident: ‘जोरदार धमाका हुआ, फिर हर तरफ …’ बिलासपुर ट्रेन हादसे के चश्मदीदों ने सुनाई रोंगटे खड़े करने वाली आपबीती
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में हुए ट्रेन हादसे ने कई लोगों को एक छोटी-सी यात्रा के दौरान बड़ा दर्द दे दिया. इस हादसे में घायल हुए यात्रियों के लिए यह सफर एक डरावने सपने में बदल गया. करीब 90 किलोमीटर की यात्रा करने वाली गेवरा रोड–बिलासपुर मेमू लोकल ट्रेन में सवार यात्री संजीव विश्वकर्मा (35) अपना फोन देख रहे थे, जबकि कुछ यात्री बातें कर रहे थे तभी शाम करीब चार बजे ट्रेन की गतोरा स्टेशन के पास मालगाड़ी से जोरदार टक्कर हो गई. टक्कर इतनी भयानक थी कि मेमू ट्रेन का पहला डिब्बा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया और अन्य डिब्बों में अफरा-तफरी मच गई.
हावड़ा–मुंबई रेलमार्ग पर हुए इस हादसे में मोटरमेन (मेमू का चालक) समेत 11 लोगों की मौत हो गई और महिला सहायक मोटरमेन सहित 14 यात्री घायल हुए. अपनी ससुराल अकलतरा से लौट रहे बिल्हा (बिलासपुर) के निवासी संजीव विश्वकर्मा ने बताया, ‘‘मैं पहली बोगी में बैठा था, जहां करीब 16-17 यात्री थे-पुरुष, महिलाएं और बच्चे. अचानक, गतोरा से लगभग 500 मीटर आगे ट्रेन जोर से हिली और किसी चीज से टकरा गई. फिर कुछ देर के लिए मेरे सामने अंधेरा छा गया.’
उन्होंने आगे बताया, ‘‘जब मैंने आंखें खोलीं, तो मैंने खुद को सीट के नीचे फंसा पाया. लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे. मेरी बोगी मालगाड़ी के डिब्बों पर चढ़ गई थी. मेरे सामने लाशें थीं. एक महिला समेत तीन लोगों की मौत हो चुकी थी. कई शव क्षत-विक्षत हालत में थे.’’
मेरा पैर फंस गया- यात्री
मार्केटिंग व्यवसाय से जुड़े रायपुर निवासी मोहन शर्मा ने बताया कि उन्होंने चांपा स्टेशन से ट्रेन पकड़ी थी. उन्होंने कहा, ‘‘मैं रायपुर जाने के लिए लिंक एक्सप्रेस से सफर करने वाला था, लेकिन ट्रेन लेट थी, इसलिए मैंने यह लोकल ट्रेन पकड़ ली. बाद में सोचा कि जल्दी बिलासपुर पहुंचकर दूसरी ट्रेन से रायपुर चला जाऊंगा.’’उन्होंने कहा, ‘‘मैं मोबाइल देख रहा था, तभी जोर का झटका लगा और मैं फर्श पर गिर गया. बाहर देखा तो पहली बोगी मालगाड़ी पर चढ़़ी हुई थी. मेरा पैर फंस गया था, रेलवे कर्मचारियों ने बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला.’’ शर्मा ने कहा, ‘‘अगर ट्रेन की रफ्तार जरा भी कम होती, तो शायद इतने लोग मारे नहीं जाते.’’
छात्रा मेहबिश परवीन का बयान
बिलासपुर के डीपी विप्र कॉलेज में बीएससी (गणित) की छात्रा मेहबिश परवीन (19) ने बताया, ‘‘मैं भी पहली बोगी में था. घर पहुंचने ही वाली थी कि हादसा हो गया. मेरा पैर टूट गया. उन चीखों को नहीं भूल सकती- हर कोई मदद के लिए चिल्ला रहा था.’’
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