CT Scan Risks: 10 में से एक बच्चे को क्यों हो रहा ब्लड कैंसर? जान लें आपकी किस गलती से हो रहा ऐसा
Pediatric Cancer: मेडिकल इमेजिंग यानी सीटी स्कैन, एक्स-रे जैसी तकनीकें डॉक्टरों के लिए बीमारी पहचानने और इलाज तय करने का सबसे अहम साधन हैं. समय पर जांच से कई बार मरीज की जान तक बचाई जा सकती है. लेकिन नई रिसर्च ने बच्चों के लिए इसके खतरे पर भी रोशनी डाली है. अमेरिका की यूसी सैन फ्रांसिस्को और यूसी डेविस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पाया है कि मेडिकल इमेजिंग से निकलने वाला रेडिएशन बच्चों में ब्लड कैंसर का बड़ा कारण हो सकता है. यह स्टडी न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुई है.
40 लाख बच्चों के रिकॉर्ड की जांच
शोधकर्ताओं ने अमेरिका और कनाडा के करीब 40 लाख बच्चों और किशोरों के मेडिकल रिकॉर्ड का अध्ययन किया. नतीजे चौंकाने वाले रहे. स्टडी में सामने आया कि बच्चों में पाए जाने वाले कुल ब्लड कैंसर के लगभग 10 प्रतिशत मामले मेडिकल इमेजिंग से हुए रेडिएशन से जुड़े हो सकते हैं. यानी करीब 3,000 केस सिर्फ इसी वजह से सामने आए.
बच्चों में कैंसर क्यों ज्यादा खतरनाक?
ब्लड कैंसर, जिसमें ल्यूकेमिया और लिम्फोमा शामिल हैं, बच्चों में सबसे ज्यादा पाए जाते हैं. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि बच्चों का शरीर विकास के दौर में होता है, इसलिए उनकी कोशिकाएं रेडिएशन के प्रति ज्यादा संवेदनशील होती हैं. साथ ही उनके सामने लंबी जिंदगी होती है, जिससे कैंसर होने का जोखिम और बढ़ जाता है.
किस जांच से कितना खतरा?
सीटी स्कैन (CT Scan): इसमें रेडिएशन की मात्रा सबसे ज्यादा होती है. रिसर्च में पाया गया कि सिर्फ एक या दो हेड सीटी स्कैन कराने से ब्लड कैंसर का खतरा लगभग दोगुना हो जाता है.
ज्यादा स्कैन: जिन बच्चों ने कई बार सीटी स्कैन कराए, उनमें यह खतरा तीन गुना तक बढ़ गया.
एक्स-रे (X-Ray): आमतौर पर छाती या हड्डी टूटने की जांच में इस्तेमाल होने वाला एक्स-रे तुलनात्मक रूप से कम रेडिएशन देता है, इसलिए कैंसर का खतरा भी बहुत कम है.
स्टडी से जुड़े आंकड़े
कुल 2,961 बच्चों में ब्लड और बोन मैरो कैंसर मिले.
इनमें से लगभग 79 प्रतिशत लिम्फॉइड कैंसर, जबकि 15 प्रतिशत एक्यूट ल्यूकेमिया और मायलॉइड कैंसर थे.
आधे से ज्यादा मामले 5 साल से छोटे बच्चों में मिले.
लड़कों में कैंसर का प्रतिशत 58 प्रतिशत रहा.
बचाव कैसे संभव?
शोधकर्ताओं ने बताया कि अगर डॉक्टर और अस्पताल अनावश्यक स्कैन से बचें और जहां जरूरी हो, वहां भी कम से कम रेडिएशन डोज दें, तो बच्चों में कैंसर के करीब 10 प्रतिशत मामले रोके जा सकते हैं. इसके अलावा, अल्ट्रासाउंड और एमआरआई जैसी जांचें ज्यादा सुरक्षित विकल्प हैं क्योंकि इनमें आयोनाइजिंग रेडिएशन नहीं होता.
एक्सपर्ट की राय
स्टडी की मुख्य राइटर डॉ. रेबेका स्मिथ-बाइंडमैन कहती हैं कि “बच्चे रेडिएशन-जनित कैंसर के लिए बेहद संवेदनशील होते हैं. इसलिए हमें हर जांच से पहले सोचना चाहिए कि क्या यह वास्तव में जरूरी है.”
वहीं को-राइटर डॉ. डायना मिग्लियोरेटी का कहना है कि “यह रिसर्च साफ दिखाती है कि जितना ज्यादा रेडिएशन मिलेगा, कैंसर का खतरा उतना ही बढ़ेगा. इसलिए डॉक्टरों को जिम्मेदारी से फैसला लेना होगा.” मेडिकल इमेजिंग बच्चों के इलाज और जीवन बचाने में अहम है, लेकिन जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल गंभीर खतरे पैदा कर सकता है. अगर समय पर सावधानी बरती जाए और सुरक्षित विकल्प अपनाए जाएं, तो हजारों बच्चों को भविष्य में कैंसर से बचाया जा सकता है.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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