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Daily walk: 20 मिनट की डेली वॉक या 10 लाख रुपये का होम जिम, आपके हार्ट के लिए क्या बेस्ट? कार्डियोलॉजिस्ट से समझें फायदे का सौदा



Benefits of daily walk: महंगे जिम, प्रोटीन पाउडर और फिटनेस गैजेट्स पर लाखों रुपये खर्च करने से पहले जरा सोचिए क्या आपकी सेहत को सच में इन सबकी ज़रूरत है? मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. शैलेश सिंह के मुताबिक, आपके दिल के लिए सबसे बड़ा इन्वेस्टमेंट किसी जिम मशीन में नहीं, बल्कि रोज़ाना की 20 मिनट की सैर में छिपा है. हाल ही में वायरल हुए अपने पोस्ट में डॉ. सिंह ने बताया कि रोज चलने की छोटी-सी आदत भी शरीर और दिल पर कितना गहरा असर डालती है. उन्होंने कहा कि “सेहत कोई लग्जरी नहीं, एक आदत है और आदतें पैसे से नहीं, नियमितता से बनती हैं.”

वॉक करने से बेहतर होती है सेहत

डॉ. सिंह बताते हैं कि एक दिन की छोटी वॉक भले ही बेकार लगे, लेकिन अगर आप इसे हर दिन करते हैं, तो इसका असर कई गुना बढ़ जाता है. उन्होंने लोगों को सलाह दी कि वे अपनी हर वॉक को कैलेंडर पर मार्क करें और हर दिन एक ‘X’ का निशान लगाएं. जब ये निशान बढ़ने लगते हैं, तो एक तरह का संतोष और मोटिवेशन मिलता है, जिससे दिमाग खुद उस सिलसिले को तोड़ना नहीं चाहता.

हमारे पास टाइम नहीं है

डॉक्टर ने लोगों की एक और आदत पर भी तंज कसा कि “हम सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करने, ओटीटी पर शो देखने या बेवजह बहस करने में घंटों निकाल देते हैं, लेकिन जब खुद के लिए 20 मिनट निकालने की बात आती है तो कहते हैं कि टाइम नहीं है.” उनका कहना है कि अगर आप दिन के सिर्फ 30 मिनट मोबाइल से हटाकर वॉक, हेल्दी खाना या नींद पर फोकस करें, तो यह आपके दिल के लिए किसी भी लाइक या व्यू से ज़्यादा मूल्यवान होगा.

वॉकिंग हैक्स

डॉ. सिंह ने ‘वॉकिंग हैक्स’ भी शेयर किए, जो लोगों को नियमित रहने में मदद कर सकते हैं. उनका पसंदीदा तरीका है जिसे वो “कमिटमेंट डिवाइस” कहते हैं. इसमें किसी दोस्त या साथी के साथ वॉक का प्लान बनाइए. उन्होंने कहा कि “जब आप किसी के साथ वॉक पर जाने का वादा करते हैं, तो उसे कैंसिल करना मुश्किल लगता है, लेकिन जाना आसान.” यह एक छोटा-सा मनोवैज्ञानिक ट्रिक है जो अच्छी आदतों को आसान और बुरी आदतों को कठिन बना देता है.

उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को अपनी सोच बदलनी चाहिए. “मैं चलने जा रहा हूँ” की जगह “मुझे चलने का मौका मिला है” कहना शुरू करें. उन्होंने याद दिलाया कि दुनिया में लाखों लोग हैं जो चाहकर भी चल नहीं सकते. इसलिए चलना एक काम नहीं, बल्कि एक सौभाग्य है. जब आप इस बात को समझ लेते हैं, तो टहलना आपके लिए बोझ नहीं, बल्कि खुद के प्रति आभार का तरीका बन जाता है. डॉ. सिंह के मुताबिक, हार्ट की सेहत सिर्फ महंगी दवाओं या जिम मशीनों पर निर्भर नहीं करती, बल्कि उन छोटे फैसलों पर जो आप रोज लेते हैं. सुबह उठकर कुछ कदम चलना, गहरी सांस लेना और अपने शरीर को थोड़ा वक्त देना ही असली इन्वेस्टमेंट है जो लंबी उम्र का ब्याज देता है.

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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