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Donald Trump Tariff: पहले PM मोदी ने की बात फिर पुतिन ने ब्राजील के राष्ट्रपति लूला को लगाया फोन; ट्रंप को उल्टा न पड़ जाए टैरिफ का दांव!


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करने के एक दिन बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा से फोन कर बात की है. क्रेमलिन के बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने ब्रिक्स के भीतर रणनीतिक साझेदारी और समन्वय को और मजबूत करने के अपने संकल्प को दोहराया. ब्राजील के राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक, यह कॉल पुतिन की पहल पर हुई और इसमें न केवल ब्रिक्स बल्कि यूक्रेन, अमेरिका के साथ ब्राजील-रूस सहयोग और हालिया टैरिफ नीतियों पर भी चर्चा हुई.

एक दिन पहले राष्ट्रपति लूला ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन किया था. दोनों नेताओं ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को $20 अरब से अधिक करने के लक्ष्य पर जोर दिया. इसके साथ ही, ऊर्जा, कृषि और तकनीक जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर भी बातचीत हुई. भारत-ब्राजील संबंध खासकर ब्रिक्स और G20 जैसे बहुपक्षीय मंचों पर हाल के वर्षों में तेजी से मजबूत हुए हैं.

ट्रंप के टैरिफ का ब्रिक्स पर क्या होगा असर?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत और ब्राजील दोनों पर उच्च टैरिफ लगाए हैं. अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया है. रूस से तेल खरीदने की वजह से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्राजील पर उच्च शुल्क लगाया, जिसे ब्राजील में पूर्व राष्ट्रपति बोल्सोनारो के खिलाफ मुकदमे से संबंधित रिपब्लिकन दबाव के संदर्भ में देखा जा रहा है. ये टैरिफ ब्रिक्स देशों के लिए एक सामूहिक प्रतिक्रिया की ज़रूरत को उजागर करते हैं, हालांकि लूला ने स्पष्ट किया है कि ब्राजील अकेले अमेरिका पर टैरिफ नहीं लगाएगा.

ब्राजील की रणनीतिक प्रतिक्रिया

ट्रंप के टैरिफ का जवाब देते हुए ब्राजील ने चीन, भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे साझेदारों के साथ व्यापार बढ़ाने की कोशिश तेज की है. हालांकि ब्राजील के तेल उत्पादकों को अमेरिकी टैरिफ से राहत मिली है, लेकिन भारत पर अतिरिक्त टैरिफ़ लगाने के बाद रूसी डीजल पर ब्राजील की निर्भरता को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.

टैरिफ को लेकर क्या कदम उठाएगा ब्राजील?

लूला, पुतिन और मोदी के बीच हालिया संवाद इस ओर इशारा करते हैं कि ब्रिक्स देश अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ एक संयुक्त रणनीति तैयार कर सकते हैं. हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक संयुक्त बयान जारी नहीं हुआ है, लेकिन बातचीत का सिलसिला बताता है कि यह मुद्दा आने वाले ब्रिक्स सम्मेलनों में प्रमुख एजेंडा होगा.

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