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Hema Malini Birthday: एक्ट्रेस बनना नहीं थी ख्वाहिश, स्क्रीन टेस्ट से पहले नाराज हो गए थे पिता… फिर ऐसे बनीं ‘ड्रीम गर्ल’



बॉलीवुड की ‘ड्रीम गर्ल’ हेमा मालिनी ने सपनों के सौदागर से हिंदी फिल्मों में डेब्यू किया. तमिल ब्राह्मण परिवार में पली बढ़ी, भरतनाट्यम में पारंगत और सरकारी मुलाजिम की 19 साल की बेटी का रियल से रील तक का सफर आसान नहीं रहा. कई मौकों पर हेमा उस दौर का जिक्र कर चुकी हैं. हेमा मालिनी एक ऐसी महिला हैं जिन्होंने जिंदगी का हर किरदार शिद्दत से निभाया, चाहे वो एक्ट्रेस का हो, डांसर का हो, प्रेमिका का हो, पत्नी का हो, मां का हो, या फिर सांसद का.

भाई आर.के. चक्रवर्ती ने अपनी किताब ‘गैलोपिंग डीकेड्स: हैंडलिंग द पैसेज ऑफ टाइम’ में हेमा की कुछ खासियतों का जिक्र किया है. वहीं भावना सोमाया की ‘हेमा मालिनी: द ऑथराइज्ड बायोग्राफी’ में जीवन के उन क्षणों की बात है जिसने हिंदी सिनेमा को एक दमदार एक्ट्रेस से रूबरू कराया.

‘हेमा कभी चली नहीं, वो ग्लाइड करती थी’
तिरुचिरापल्ली जिले के अम्मानकुडी में 16 अक्टूबर 1948 को जन्मी हेमा छोटी उम्र से ही मंच पर थीं, लेकिन किसी ने उन्हें बतौर एक्ट्रेस नहीं देखा था. वो घर में बस एक शांत बच्ची थीं, जिसे मां जया लक्ष्मी अय्यर भरतनाट्यम की प्रैक्टिस करवाती थीं. मां जानती थीं कि ये बच्ची आम नहीं, एक समर्पित साधिका बनेगी. पिता, वी.एस. रामन, सरकारी मुलाजिम थे. भाई आर. चक्रवर्ती ने अपनी किताब में हेमा की उस तलाश के बारे में लिखा- ‘वो उम्र में नहीं, बल्कि लय में बढ़ी, हेमा कभी चली नहीं, वो ग्लाइड करती थी.’ यही वो लाइम है जो बताती है कि हेमा उम्र से नहीं, नूपुर की झंकार से आगे बढ़ीं.

Hema Malini Birthday: एक्ट्रेस बनना नहीं थी ख्वाहिश, स्क्रीन टेस्ट से पहले नाराज हो गए थे पिता... फिर ऐसे बनीं 'ड्रीम गर्ल

‘सपनों का सौदागर’ से बॉलीवुड डेब्यू
फिर आया वो समय जब हेमा की हिंदी फिल्म में एंट्री हुई. पहली फिल्म ‘सपनों का सौदागर’ थी और सामने एक्टर थे द ग्रेट शोमैन राज कपूर. हेमा मालिनी: द ऑथराइज्ड बायोग्राफी में पहले स्क्रीन टेस्ट तक पहुंचने की पूरी कहानी है. इसमें हेमा के घर पिता और मां में हुई अनबन का जिक्र है. ये भी कि पिता ने पूरे हफ्ते नाराज होकर परिवार के साथ खाना नहीं खाया और ये भी कि कैसे फिर आखिरकार मां ने मना लिया.

तमिल फिल्म में रिजेक्ट हुई थीं हेमा मालिनी
हेमा भी पर्दे पर दिखने की ख्वाहिश नहीं रखती थीं, लेकिन उन्होंने अपनी मां की इच्छा का सम्मान किया और उस अपमान से भी पार पाने का रास्ता चुना जो सालों पहले एक तमिल फिल्म में रिजेक्ट होने से उपजा था. खैर, इस फिल्म का स्क्रीन टेस्ट हेमा मालिनी के दिमाग पर अब भी छपा हुआ है. उन्होंने बताया कि स्क्रीन टेस्ट देवनार के स्टूडियो में होना था. तब तक हेमा स्टेज पर बतौर डांसर खुद को स्थापित कर चुकी थीं.

Hema Malini Birthday: एक्ट्रेस बनना नहीं थी ख्वाहिश, स्क्रीन टेस्ट से पहले नाराज हो गए थे पिता... फिर ऐसे बनीं 'ड्रीम गर्ल

हेमा मालिनी का अपना स्टाफ था जिसमें मेकअप मैन माधव पई, ड्रेसमैन विष्णु और स्पॉट-बॉय हनुमान शामिल थे. सबने हेमा का हौसला बढ़ाया. विष्णु ने ड्रेस रूम में पद्मिनी और वैजयंतीमाला जैसी दिग्गज अभिनेत्रियों की पोशाकें दिखाते हुए कहा, ‘एक दिन इनके अलावा तुम्हारी पोशाकें भी टंगी होंगी?’ मेकअप मैन ने कहा, ‘निडर रहो, ऐसे परफॉर्म करो जैसे कमरे में तुम्हारे अलावा कोई नहीं है… अपना दिल खोलो और देखो कि रोशनी तुम्हारे चेहरे पर कैसे चमकती है.’ नर्वस हेमा थोड़ी संभली और टेस्ट दिया.

एक्ट्रेस बनकर पूरी की मां की ख्वाहिश
18-19 साल की इस एक्ट्रेस ने जो स्टेज पर किया उसे देख राज कपूर भी तपाक से बोल पड़े- ‘ये भारतीय पर्दे की सबसे बड़ी स्टार बनने जा रही हैं?’ साउथ में सिरे से खारिज की गई हेमा और उनकी मां जया के घावों पर ये मरहम की तरह था. फिल्मों में आना उनका फैसला नहीं था. ये उनकी मां की ख्वाहिश थी. लेकिन ड्रीम गर्ल बनना उनका सपना भी नहीं था. ये तो लोगों ने उन्हें उपाधि की तरह पहना दी. सफलता मिली, मगर वो कभी उसमें बसी नहींं.

Hema Malini Birthday: एक्ट्रेस बनना नहीं थी ख्वाहिश, स्क्रीन टेस्ट से पहले नाराज हो गए थे पिता... फिर ऐसे बनीं 'ड्रीम गर्ल

‘वो प्यार के मामले में नर्म थी, और अनुशासन में कठोर’
हेमा मालिनी ने प्यार किया, शादी की और परिवार भी बनाया मगर इन सबके बीच भी वो एक डांसर ही रहीं. बेटियां ईशा और अहाना जब जन्मदिन पर उनके सामने घुंघरू लेकर बैठती हैं, तो वो उन्हें मां की तरह नहीं, गुरु की तरह देखती हैं. ये विरोधाभास ही हेमा हैं—ममता में कठोर, कठोरता में करुणा. भाई इस पर भी लिखते हैं- ‘वो प्यार के मामले में नर्म थी, और अनुशासन में कठोर.’ ये दो लाइनें शायद किसी भी जीवनी में नहीं मिलेंगे, पर यही वो सच है जिसे ‘ड्रीम गर्ल’ का तमगा कभी छू नहीं सका.

‘उसने कभी शोहरत का पीछा नहीं किया…’
उनके भाई की किताब में एक पंक्ति छिपी है, जो शायद सबसे सच्चा परिचय है इकलौती बहन हेमा का और वो है- ‘उसने कभी शोहरत का पीछा नहीं किया, बल्कि शालीनता को तलाशा और शोहरत उनके पीछे ब्रेथलेस साथ चल दिया.’ हे



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