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India-Pakistan Submarine War: समंदर का बादशाह भारत पाकिस्तान से किस मामले में पीछे, ड्रैगन कर रहा पड़ोसी की मदद, जानें नेवी कंपैरिजन



भारत-पाकिस्तान के बीच प्रतिद्वंद्विता अब समुद्र की गहराइयों तक पहुंच गई है. जहां भारत ज्यादातर सैन्य क्षेत्रों में पाकिस्तान से आगे है, वहीं पनडुब्बी तकनीक, खासकर एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) सिस्टम के मामले में पाकिस्तान को बढ़त मिलती दिख रही है.

पाकिस्तान को 2026 तक अपनी पहली AIP तकनीक वाली पनडुब्बी मिलने वाली है. यह पनडुब्बी चीन की मदद से तैयार हो रही हंगोर-क्लास (Hangor-Class) होगी. वहीं भारत को ऐसी उन्नत पनडुब्बी पाने में अभी लगभग 2032 तक का इंतजार करना पड़ेगा.

चीन के सहयोग से मजबूत हो रही पाक नौसेना
पाकिस्तानी नौसेना प्रमुख एडमिरल नवीद अशरफ ने बताया कि चीन के सहयोग से विकसित यह परियोजना उनकी नौसेना के लिए ऐतिहासिक साबित होगी. टाइप 039 युआन क्लास (Type 039 Yuan-Class) के डिजाइन पर आधारित हंगोर पनडुब्बियां समुद्र में पाकिस्तान की निगरानी, रक्षा और हमला करने की क्षमता को कई गुना बढ़ा देंगी.

हंगोर नाम का भारत से गहरा रिश्ता
भारत-पाक युद्ध के 1971 युद्ध के दौरान पाकिस्तान की पीएनएस हंगोर पनडुब्बी ने भारतीय युद्धपोत INS खुकरी को डुबो दिया था. उसी ऐतिहासिक घटना की याद में पाकिस्तान ने इस नई पनडुब्बी श्रृंखला का नाम हंगोर रखा है. कुल 8 हंगोर-क्लास पनडुब्बियां बनाई जा रही हैं, जिनमें से 4 चीन में और 4 कराची शिपयार्ड में बनेंगी.

11 AIP पनडुब्बियों के साथ पाकिस्तान की बढ़ी ताकत
पाकिस्तान के पास फिलहाल 3 AIP पनडुब्बियां हैं. नई डील पूरी होने के बाद यह संख्या 11 तक पहुंच जाएगी, जिसका इस्तेमावल वह अरब सागर और हिंद महासागर क्षेत्र में कर सकता है. इन पनडुब्बियों में टॉरपीडो, एंटी-शिप मिसाइलें और संभवतः बाबर लैंड अटैक क्रूज़ मिसाइल (LACM) जैसी क्षमताएं होंगी.

भारत को अभी करनी होगी लंबी प्रतीक्षा
भारत के पास इस समय AIP तकनीक से लैस कोई पनडुब्बी नहीं है. भारतीय नौसेना की स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियों में AIP सिस्टम लगाने की योजना चल रही है, लेकिन प्रोजेक्ट धीमी गति से आगे बढ़ रहा है. AIP सिस्टम का फायदा यह है कि पनडुब्बी लंबे समय तक पानी के नीचे रह सकती है और उसकी स्टील्थ यानी गुप्तता बनी रहती है.

भारत की आधुनिक पनडुब्बियां 
भारत के पास वर्तमान में कई आधुनिक पनडुब्बियां हैं, जिनमें डीजल-इलेक्ट्रिक और परमाणु-संचालित (न्यूक्लियर पावर्ड) पनडुब्बियां शामिल हैं. इनमें सबसे प्रमुख हैं आईएनएस अरिहंत (INS Arihant) और INS अरिघात (INS Arighat). दोनों ही बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) से लैस हैं और भारत की परमाणु त्रिकोणीय प्रतिरोध क्षमता (Nuclear Triad) का अहम हिस्सा हैं.

भारतीय नौसेना की समंदरों में बढ़ती ताकत
भारत की नौसेना न केवल अपने तटों की सुरक्षा करती है, बल्कि किसी भी महासागर में अपनी मौजूदगी दर्ज करा सकती है. ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पास कुल 293 युद्धपोत हैं, जिससे वह दुनिया की छठी सबसे बड़ी नौसेना बन गई है. भारतीय नौसेना हिंद महासागर से लेकर अफ्रीका, दक्षिण चीन सागर और प्रशांत महासागर तक सक्रिय भूमिका निभा रही है. यह सिर्फ युद्ध या सुरक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि मानवीय मदद, बचाव कार्य और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी में भी अहम योगदान दे रही है.

भारतीय नौसेना की रचना और शक्ति
भारत की नौसेना के पास दो शक्तिशाली एयरक्राफ्ट कैरियर हैं, INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत. इसके अलावा दर्जनों डिस्ट्रॉयर, फ्रिगेट्स और पनडुब्बियां हैं, जो भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत बनाती हैं. नौसेना में 1.42 लाख से अधिक सैनिक हैं और इसका वार्षिक रक्षा बजट करीब 81 अरब डॉलर है. भारत “मेक इन इंडिया” योजना के तहत अपने जहाज खुद बना रहा है, जिससे देश की आत्मनिर्भरता बढ़ी है.

पाकिस्तानी नौसेना – तटीय सीमाओं में सीमित ताकत
पाकिस्तान की नौसेना को ग्रीन वाटर नेवी कहा जाता है. इसका अर्थ है कि उसकी ताकत केवल अपने तटीय इलाकों तक सीमित है और वह खुले समुद्रों में लंबे समय तक अभियान नहीं चला सकती. पाकिस्तान के पास लगभग 121 जहाज हैं, जिनमें कोई एयरक्राफ्ट कैरियर या डिस्ट्रॉयर नहीं है. इसके पास सिर्फ 8 पनडुब्बियां और 10 फ्रिगेट्स हैं. कुल नौसैनिक बल लगभग 35,000 सैनिकों का है और उसका वार्षिक रक्षा बजट 10 अरब डॉलर के करीब है. ग्लोबल रैंकिंग में पाकिस्तान 27वें स्थान पर है.

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