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Indian Navy: कोच्चि में पहली बार तैनात होगा नौसेना का जहाज इक्शाक! ब्लू वॉटर नेवी बनने की दिशा में भारत का बड़ा कदम



केरल के कोच्चि नेवल बेस पर पहली बार नौसेना का कोई जहाज तैनात होने जा रहा है. भारतीय नौसेना का सबसे नया सर्वे पोत (एसवीएल) ‘इक्शाक’, दक्षिणी नेवल कमांड में तैनात रहेगा. एक लंबे समय से केरल में किसी जहाज को तैनात करने की मांग चल रही थी. गुरुवार (6 नवंबर) को नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी की मौजूदगी में एक सैन्य समारोह में ‘इक्शाक’ सर्व वेसल को कोच्चि बेस को सौंपा जाएगा. संस्कृत के शब्द इक्शाक का अर्थ है ‘गाइड’.

नौसेना के प्रवक्ता, कैप्टन विवेक मधवाल के मुताबिक, इक्शाक के इंडियन नेवी में शामिल होने से देश की हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण क्षमताएं काफी बढ़ जाएंगी. कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSI) लिमिटेड की ओर से निर्मित, इक्शाक भारत की जहाज निर्माण में बढ़ती आत्मनिर्भरता का एक शानदार उदाहरण है, जिसमें 80 प्रतिशत स्वदेशी कंटेंट है. ये SVL क्लास का तीसरा सर्वेक्षण जहाज है.

भारतीय नौसेना की दक्षिणी कमान का मुख्यालय कहां है?

कोच्चि में भारतीय नौसेना की दक्षिणी कमान का मुख्यालय है. इस कमान के अंतर्गत भारतीय नौसेना के मुख्यत ट्रेनिंग सेंटर है. ऐसे में इसे ट्रेनिंग कमान के नाम से भी जाना जाता है. ऐसे में यहां कोई जहाज तैनात नहीं किया जाता है. जंगी जहाज, पनडुब्बियां इत्यादि, नौसेना की दो अन्य ऑपरेशन्ल कमान, पूर्वी कमान (मुख्यालय विशाखापट्टनम) और पश्चिमी कमान (मुख्यालय मुंबई) के अधीन रहते हैं. अपने नाम के अनुरूप, इक्शाक देश के पोर्ट, हार्बर, नेविगेशनल चैनल से लेकर हजारों-लाखों किलोमीटर तक फैले समुद्री-क्षेत्र का हाइड्रोग्राफिक सर्वे करेगा. इस डाटा का इस्तेमाल, समंदर में नेविगेशन से लेकर मेरीटाइम सेफ्टी के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.

ब्लू वॉटर नेवी बनने की दिशा में बढ़ते कदम

नौसेना के मुताबिक, इक्शाक पोत स्टेट ऑफ द आर्ट हाइड्रोग्राफिक और ओसियोनिग्राफिक उपकरण से लैस है, जिसमें आटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल (AVV), रिमोटली ऑपरेटड व्हीकल (ROV) और चार सर्व मोटर बोट्स शामिल है. शिप में एक हेलीकॉप्टर डेक भी है. उल्लेखनीय है कि पिछले महीने ही भारतीय नौसेना के आईएनएस सतलुज जहाज ने मॉरीशस का हाइड्रोग्राफिक सर्वे किया था. INS सतलुज ने मॉरीशस हाइड्रोग्राफिक सर्विस के साथ मिलकर करीब 35 हजार वर्ग समुद्री मील का सर्वेक्षण किया था. यह सर्वेक्षण भारत और मॉरीशस के बीच मौजूदा MoU के तहत राष्ट्रीय एजेंसियों के गहन समन्वय से आयोजित किया गया था और भारतीय नौसेना के ब्लू वॉटर नेवी बनने की दिशा में एक अहम पड़ाव था.

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