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Jhijhiya Dance: मिथिला संस्कृति के झिझिया लोकनृत्य का महत्व क्या है, जो माँ दुर्गा को समर्पित त्योहार से जुड़ा हुआ है?



Durga Worship Rituals: झिझिया नृत्य बिहार और नेपाल के मिथिला क्षेत्र में प्रमुख है. इसके अलावा आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी बहुत लोकप्रिय है. नवरात्र के दौरान गांवों और पूजा पंडालों में कुंवारी कन्याएं और महिलाएं इस लोकनृत्य का प्रदर्शन करती हैं. झिझिया केवल एक नृत्य नहीं, बल्कि मिथिला-बिहार की लोक आस्था, महिला जागरूकता, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक पहचान का उत्सव है. यह परंपरा क्षेत्रीय लोकसंस्कृति को सशक्त करती है.

मिथिला को भगवान सीता का जन्मस्थान माना जाता है. इस कारण शक्ति की आराधना से भी यह लोकनृत्य जुड़ा है. इसमें देवी दुर्गा की उपासना कन्याएं लोकनृत्य के माध्यम से करती हैं. यह सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि यह नृत्य मिथिला क्षेत्र के सामाजिक और संस्कृति की पहचान का अभिन्न हिस्सा भी है.  इससे सामाजिक समरसता और सहयोग की भावना बढ़ती है. 

क्या है झिझिया नृत्य महत्व  

झिझिया लोकनृत्य को मौसम से भी जोड़ कर देखा जाता है. मान्यता है कि महिलाएं खेत, खलिहान और फसलों की रक्षा के लिए प्राचीन काल में इस लोकनृत्य को करना शुरू किया था.

उसके बाद की पीड़ियों ने इस नृत्य को संरक्षित रखा. और अब तक यह उत्साह के साथ मनाया जाता है. दूसरी मान्यता धार्मिक अनुष्ठान से है. जिसमें देवी दुर्गा और छठी मैया को प्रसन्न करने के लिए इस लोकनृत्य का प्रदर्शन किया जाता है.

पौराणिक कथा है कि महिलाएं इस नृत्य से देवी दुर्गा को प्रसन्न करती हैं और उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. एक अन्य मान्यता यह है कि बुरी शक्तियों से बच्चों और परिवार को बचाने के लिए इस लोकनृत्य का प्रदर्शन किया जाता है.

इससे देवी दुर्गा प्रसन्न होती है. यह नवरात्रा में दस दिनों तक चलता है और छठ के समय भी यह लोकनृत्य इस क्षेत्र में पूरे उत्साह के साथ चलता है.

झिझिया नृत्य की विधि

झिझिया नृत्य के लिए महिलाएं सिर पर जलते दीपों वाले मिट्टी के घड़े रखती हैं. मिट्टी के घड़े में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं. इसमें दीपक रखे जाते हैं.

ढोलक, मंजीरा, बांसुरी और लोकगीत गाते हुए महिलाएं नृत्य करती हैं. एक समूह में गीत गाने और नृत्य करने से एक अलग ही उत्साह बनता है.   

झिझिया के प्रमुख गीत

“तोहरे भरोसे ब्रहम बाबा झिझिया बनइलिअइ हो. ब्रहम बाबा झिझरी पर होईअऊ न असवार…
चल चल गे डयनियाँ ब्रहम तर, तोरा बेटा के खयबऊ ब्रहम तर…
देवी मोरे अयलिन निहुरि पईयाँ लागू. की देखे अयलिन मैया की देख मुसकईलिन…
झिझिया गीतों में विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा अपने मायके की खुशहाली, भाई की लंबी उम्र और परिवार की समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



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