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Kaleshwaram Project Case: CM रेवंत रेड्डी ने कालेश्वरम परियोजना मामले की जांच CBI को सौंपने की घोषणा की, तत्कालीन BRS सरकार पर लगाए गंभीर आरोप


तेलंगाना सरकार ने कालेश्वरम परियोजना में कथित अनियमितताओं, सार्वजनिक धन के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को मामला सौंपने का निर्णय लिया है. सरकार ने पहले ही इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया था, जिसने मेडिगड्डा, अन्नारम और सुंदिल्ला बैराजों के निर्माण में अनियमितताओं की जांच की.

जस्टिस घोष आयोग ने 31 जुलाई 2025 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी. राज्य मंत्रिमंडल ने 4 अगस्त 2025 को इस रिपोर्ट को स्वीकृति दी और इसे विधानसभा में पेश करने का निर्णय लिया. आयोग ने तीनों बैराजों के निर्माण में लापरवाही, तथ्यों को जानबूझकर दबाने और वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि की. आयोग ने यह भी खुलासा किया कि पूर्ववर्ती बीआरएस सरकार ने कालेश्वरम परियोजना के निर्माण की योजना तैयार करने में विफलता दिखाई.

एनडीएसए की रिपोर्ट में क्या कहा गया
राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (एनडीएसए) की रिपोर्ट में कहा गया कि मेडिगड्डा बैराज की क्षति अपर्याप्त योजना, डिजाइन और गुणवत्ता नियंत्रण की कमी के कारण हुई. एनडीएसए ने निर्माण में दोषों को खराब गुणवत्ता और रखरखाव की कमी से जोड़ा. आयोग और एनडीएसए की रिपोर्टों ने स्पष्ट किया कि इस मामले में गहन और व्यापक जांच की आवश्यकता है.

कालेश्वरम परियोजना में अंतरराज्यीय संस्थाएं, केंद्र और राज्य सरकार के विभिन्न विभाग और एजेंसियां शामिल हैं. परियोजना के डिजाइन, निर्माण और वित्तपोषण में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों जैसे वॉपकॉस और वित्तीय संस्थानों जैसे पीएफसी और आरईसी की भागीदारी के कारण, सरकार ने इस मामले को सीबीआई को सौंपने का निर्णय लिया.

मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने क्या बताया
विधानसभा में जस्टिस घोष आयोग की रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने कहा कि कालेश्वरम परियोजना के लिए कालेश्वरम कॉर्पोरेशन का गठन किया गया था, जिसने 85,449 करोड़ रुपये का कर्ज लिया. पूर्ववर्ती बीआरएस सरकार ने पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन से 11.5 प्रतिशत ब्याज पर 27,738 करोड़ रुपये और 12 प्रतिशत ब्याज पर 30,536 करोड़ रुपये उधार लिए.

मुख्यमंत्री ने बताया कि अब तक 19,879 करोड़ रुपये मूलधन और 29,956 करोड़ रुपये ब्याज के रूप में बैंकों को चुकाए गए हैं. कुल मिलाकर 49,835 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, फिर भी 60,869 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है. परियोजना के शेष कार्यों को पूरा करने के लिए 47,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता है.

सीबीआई इस मामले की गहन जांच करेगी
मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि 21 अक्टूबर 2020 को एक इंजीनियर ने महादेवपुर पुलिस स्टेशन में बैराज की क्षति की शिकायत दर्ज की थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव को भी इसकी रिपोर्ट मिली थी, लेकिन मेडिगड्डा के आसपास पुलिस तैनात कर किसी को भी वहां जाने की अनुमति नहीं दी गई.

मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि तत्कालीन बीआरएस सरकार ने कालेश्वरम परियोजना के माध्यम से सार्वजनिक धन का दुरुपयोग किया. उन्होंने कहा कि सरकार ने दिशानिर्देशों के अनुसार जांच का आदेश दिया है और अब सीबीआई इस मामले की गहन जांच करेगी.

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