Morari Bapu: प्रेम में संपूर्ण समर्पण ही भक्ति, सीखें मीरा की भक्ति से
Morari Bapu: प्रख्यात कथावाचक मोरारी बापू कहते हैं कि जब मन प्रेम से भर जाता है, तो वही भक्ति बन जाती है. मीरा और सभी संतों ने इसी भाव से जीवन को साधना बना दिया. प्रेम में वैराग्य अपने आप आ जाता है, और भक्ति में विश्राम अपने आप मिल जाता है.
मीरा का प्रेम और भक्ति सर्वोच्च
वे कहते हैं कि मीरा का जीवन भक्ति और प्रेम का सुंदर संगम है. उन्होंने प्रभु को अपना सब कुछ मान लिया और दुनिया की सारी बाधाओं को हंसते हुए स्वीकार किया. यह प्रेम का सर्वाेच्च रूप है. मीरा ने हमें सिखाया कि सच्ची भक्ति में न शिकायत होती है, न अपेक्षा. मीरा की आंखों में केवल श्याम बसे थे, और उनके हर गीत में समर्पण की गूंज थी.
मोरारी बाबू के अनुसार प्रेम ही इस जीवन-सागर से पार उतारने का एकमात्र उपाय है. प्रेम में व्यक्ति अपने अस्तित्व को भुला देता है, और जिससे प्रेम करता है, उसी में लीन हो जाता है. त्याग या वैराग्य का अभ्यास करने की आवश्यकता नहीं रहती, क्योंकि प्रेम में स्वाभाविक रूप से त्याग जन्म लेता है.
जीवन के उद्धार के लिए प्रेम मार्ग
मोरारी बापू के अनुसार जिन्होंने केवल ज्ञान का मार्ग अपनाया, उन्हें वैराग्य के सोपान चढ़ने पड़े. कभी गिरे, कभी उठे, तब जाकर पहुंचे. पर जिन्होंने प्रेम का मार्ग चुना, वे सहज ही पहुंच गए. जब श्रीकृष्ण ब्रज छोड़कर गए, तो क्या गोपिकाएं घर छोड़कर चली गईं? प्रेम में संसार को त्यागना नहीं पड़ता, प्रेम में तो मन अपने आप संसार से ऊपर उठ जाता है.
मन दुखी होने पर गाएं मीरा के भजन
मोरारी बापू कहते हैं कि भक्ति में गायन और कीर्तन का बहुत महत्व है. गीत आत्मा की भाषा हैं. जब मन दुखी हो, तब भी मीरा के भजन गाए जाएं तो मन का बोझ हल्का हो जाता है. संगीत केवल स्वर नहीं, साधना है. जब भक्त प्रेम के भाव से गाता है, तो वह गीत भगवान तक पहुंचता है.
भक्ति का मार्ग कोमल है, कठिन नही. बस हृदय में प्रेम सच्चा होना चाहिए. प्रभु की भक्ति करनी हो तो मीरा की तरह करो, और प्रेम करना हो तो ब्रज गोपिकाओं की तरह करो. मीरा की भक्ति में प्रेम था, प्रेम में समर्पण था, और समर्पण में मुक्ति. यही भक्ति की पूर्णता है.
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