Navratri 2025 Daan: नवरात्रि में दान देने से बदल सकती है किस्मत! जानें 9 दिन के दान का विशेष महत्व
Donation during Navratri 2025: केवल देवी-देवताओं के पर्व पर ही नहीं, बल्कि किसी भी पुण्य कर्म के अवसर पर दान फलदायी होता है. शास्त्रों व पुराणों में ऐसा माना जाता है कि, नवरात्र में दान करने का भी विशेष महत्व है.
यह एक ऐसा आध्यात्मिक अवसर है जब हर छोटे से छोटे से पुण्यकर्म से भी जीवन की दिशा बदल सकती है. पुराणों और अभिलेखों में नक्षत्र “दैवीय ऊर्जा का चरमकाल” कहा गया है. आइए जानते हैं नवरात्र में क्या है इसका महत्व?
स्कंद पुराण में उल्लेख है कि नवरात्रि के दौरान देवी शक्ति विशेष रूप से सक्रिय रहती हैं और भक्त बनी रहती हैं. वहीं मार्कंडेय पुराण में दुर्गा सप्तशती के माध्यम से बताया गया है, कि जब-जब मनुष्य श्रद्धा से देवी की पूजा करता है, तब-तब उसके जीवन से विपत्तियां दूर हो जाती हैं.
राजासुतीक्ष्ण की कथा
रामायण के कथाकाण्ड में इसका वर्णन है कि, राजासुतीक्ष्ण ने नवरात्रि व्रत और देवी की आराधना में लीन निर्धनों को दान दिया. परिणामस्वरूप उनका राज्य सुख-समृद्धि से भरा गया.
सत्यवान-सावित्री का तप
महाभारत में वर्णित है कि, यमराज द्वारा व्रत रखने और देवी की पूजा करने से उनके पति सत्यवान का प्राण बल वापस प्राप्त हो गया था. यह कहानी है कि श्रद्धा और तप से इंसान की किस्मत नहीं, बल्कि जीवन-मरण तक को बदला जा सकता है.
कन्या पूजन की परंपरा
दंतकथाओं में उल्लेख किया गया है कि, एक साधु ने नवरात्र के अंतिम दिन कन्याओं को भोजन कराया, दक्षिणा दी, परिणामस्वरूप उनका सारा संकट समाप्त हो गया और उनके जीवन में स्थिर सुख-शांति आ गई.
शास्त्रों में नवरात्रि में प्रत्येक दिन का अलग अलग दान का महत्व बताया गया है-
- पहला दिन – अन्न दान
- दिन दूसरा – वस्त्र दान
- तीसरा दिन – दीपदान
- चौथा दिन – गौ दान या तुलसी दान
- पांचवां दिन – जल दान
- छठा दिन – ज्ञान दान
- सातवां दिन – कन्या पूजन
- आठवां दिन – अन्नकूट भोग
- नौंवा दिन – पूर्णाहुति और दान
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