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Noor Jahan Story: मुगल काल की वो बेगम, जिसने तोड़ी हरकम की परंपरा, बहादुर इतनी कि चीता मार गिराया


मुगल साम्राज्य का नाम आते ही हमारे सामने शान-ओ-शौकत, शानदार महल और अपार दौलत की तस्वीर उभरती है, लेकिन इस साम्राज्य में एक ऐसी रानी भी हुई, जिसने न केवल हरम की परंपरा को तोड़ा बल्कि शासन और शिकार दोनों में पुरुषों से आगे निकल गईं. यह रानी थीं नूरजहां, जिनका असली नाम था मेहर-उन-निसा.

नूरजहां की पहली शादी एक मुगल सिपहसालार से हुई थी, लेकिन उसके निधन के बाद 1611 में उनका निकाह मुगल बादशाह जहांगीर से हुआ. जहांगीर (सलीम) शराब और अफीम के नशे में डूबे रहते थे और शासन में ढीलापन आने लगा था. ऐसे समय में नूरजहां ने राजकाज की बागडोर संभाली. उन्होंने प्रशासनिक फैसले लिए, फरमान जारी किए और यहां तक कि सिक्कों पर अपना नाम अंकित कराया. इतिहासकार मानते हैं कि जहांगीर के शासनकाल में असली ताकत नूरजहां के हाथों में थी.

नूरजहां का साहस शिकार की घटना 

इतिहासकार रूबी लाल की किताब Empress: The Astonishing Reign of Nur Jahan में एक घटना का जिक्र है. एक बार नूरजहां हाथी पर सवार होकर शिकार पर निकलीं. तभी एक चीता हमला करने आया. हाथी घबरा कर भागने लगा, लेकिन नूरजहां ने बिना डरे एक ही गोली में चीते को मार गिराया. यह घटना नूरजहां की बहादुरी और शिकार में महारत का बड़ा प्रमाण मानी जाती है.

नूरजहां की राजनीतिक ताकत

जहांगीर को जब बंदी बना लिया गया तो नूरजहां ने खुद युद्ध का नेतृत्व किया और उन्हें छुड़ाया. उन्होंने कूटनीतिक फैसले लिए और दरबार में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराई. मुगल साम्राज्य की नीतियों और रणनीतियों पर उनका गहरा प्रभाव रहा.

हरम की परंपरा तोड़ने वाली रानी 

मुगल काल में हरम महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाया गया था, जहां गैर पुरुषों का प्रवेश वर्जित था. लेकिन नूरजहां ने इन सीमाओं को तोड़कर राजनीति में सीधा दखल दिया. उन्होंने युद्ध और शिकार में हिस्सा लिया. खुद को केवल बेगम ही नहीं, बल्कि एक शासक के रूप में स्थापित किया.

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