Palestine Conflict: ‘भारत ने भूमिका त्यागी, फिलिस्तीन मुद्दे पर हमें नेतृत्व की जरूरत’, सोनिया गांधी का सरकार पर बड़ा हमला
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने फिलिस्तीन मुद्दे को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला. उन्होंने गुरुवार (25 सितंबर, 2025) को द हिंदू में लेख लिखकर सरकार के रुख की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने लिखा कि फिलिस्तीन के मुद्दे पर भारत को नेतृत्व का प्रदर्शन करने की आवश्यकता है, जो अब न्याय, पहचान, सम्मान और मानवाधिकारों की लड़ाई बन गया है.
सोनिया गांधी ने कहा कि व्यक्तिगत कूटनीति की यह शैली कभी भी स्वीकार्य नहीं है और यह भारत की विदेश नीति का मार्गदर्शक नहीं हो सकती. दुनिया के अन्य हिस्सों, खासकर अमेरिका में ऐसा करने के प्रयास हाल के महीनों में सबसे दर्दनाक और अपमानजनक तरीके से विफल हुए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की कार्रवाई मुख्य रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के बीच व्यक्तिगत मित्रता से प्रेरित लगती है, न कि भारत के संवैधानिक मूल्यों या उसके रणनीतिक हितों से.
‘भारत दो देश समाधान का समर्थक’
सोनिया गांधी ने कहा कि इजरायल-फिलिस्तीन के गंभीर और संवेदनशील मुद्दे पर भी भारत ने लंबे समय से सैद्धांतिक रुख अपनाया है. शांति और मानवाधिकारों की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि भारत 1974 में फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) को मान्यता देने वाले देशों में एक था और लगातार 2-देश समाधान का समर्थन करता आया है.
भारत ने UN के कई प्रस्तावों का किया समर्थन
उन्होंने कहा कि भारत इजरायल के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को मानते हुए फिलिस्तीन के राज्य बनने को अपनी स्वीकृति देता है. भारत ने सालों से फिलिस्तीनी अधिकारों की पुष्टि करने वाले और पश्चिमी तट पर कब्जे के विस्तार की निंदा करने वाले कई संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों का समर्थन किया है. साथ ही, भारत ने इजरायल के साथ राजनयिक संबंध भी बनाए रखे हैं. भारत ने फिलिस्तीन को मानवीय सहायता भी दी है, जिसमें छात्रों के लिए छात्रवृत्ति, शिक्षा और स्वास्थ्य मदद के अलावा गाजा और पश्चिमी तट के संस्थानों के लिए क्षमता निर्माण भी शामिल है.
‘भारत ने अब अपनी भूमिका लगभग त्याग दी’
सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले दो सालों में अक्टूबर 2023 से इजरायल और फिलिस्तीन के बीच शत्रुता बढ़ने के बाद से भारत ने अपनी भूमिका लगभग त्याग दी है. 7 अक्टूबर, 2023 को इजरायली नागरिकों पर हमले के बाद से 55,000 से ज़्यादा फिलिस्तीनी नागरिक मारे गए हैं, जिनमें 17,000 बच्चे शामिल हैं. गाजावासियों को अकाल जैसी स्थिति में धकेल दिया गया है, जहां इजरायली सेना अत्यंत आवश्यक चीजें जैसे भोजन, दवा और अन्य सहायता पहुंचाने में भी बाधा डाल रही है.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की गहरी चुप्पी, मानवता और नैतिकता दोनों का परित्याग है. ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार की कार्रवाई भारत के संवैधानिक मूल्यों के बजाय इजरायली प्रधानमंत्री और पीएम मोदी के बीच व्यक्तिगत मित्रता से प्रेरित है. व्यक्तिगत कूटनीति की यह शैली कभी भी स्वीकार्य नहीं होती और न ही भारत की विदेश नीति का मार्गदर्शक हो सकती है.
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