Syria President: इजरायल से खौफ खाता है ये मुस्लिम देश! UNGA में पूरी दुनिया के सामने कबूली बात
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में पहली बार शामिल हुए सीरिया के नए राष्ट्रपति अहमद अल-शरा ने दुनिया के सामने एक सख्त संदेश दिया. उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर इजरायल सीरिया की संप्रभुता को सुरक्षित रखने वाला सुरक्षा समझौता नहीं करता तो मध्य-पूर्व एक बार फिर अस्थिरता की चपेट में आ सकता है.
शरा ने यह भी स्वीकार किया कि सीरिया इजरायल से डरता है और वह इजरायल के लिए कोई खतरा नहीं है. बशर अल-असद के लंबे शासन के बाद दिसंबर में सत्ता से बेदखल होने के बाद शरा सत्ता में आए और अब उनका मुख्य एजेंडा इजरायल के साथ तनाव कम करना है. राष्ट्रपति अहमद अल-शरा का यह भी आरोप था कि इजरायल जानबूझकर बातचीत को टाल रहा है और सीरिया की हवाई व जमीनी सीमाओं का उल्लंघन करता रहा है. उन्होंने दो टूक कहा कि सीरिया का बंटवारा किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं होगा.
अमेरिका की मध्यस्थता और डि-एस्केलेशन समझौते की संभावना
सीरिया-इजरायल तनाव को कम करने में अमेरिका सक्रिय भूमिका निभा रहा है. अमेरिकी विशेष दूत टॉम बरैक ने संकेत दिया कि दोनों देशों के बीच एक डि-एस्केलेशन समझौता लगभग तैयार है. इस प्रस्तावित समझौते के तहत इजरायल सीरिया पर हवाई हमले और घुसपैठ रोक देगा. सीरिया इजरायल सीमा के पास भारी हथियार और सैन्य उपकरण तैनात नहीं करेगा. बरैक के अनुसार, यह एक व्यापक सुरक्षा समझौते की दिशा में पहला कदम होगा. उन्होंने भरोसा जताया कि दोनों पक्ष सकारात्मक दृष्टिकोण से आगे बढ़ रहे हैं.
गोलान हाइट्स और डूज समुदाय
गोलान हाइट्स लंबे समय से सीरिया और इजरायल के बीच विवाद का केंद्र रहा है. असद सरकार के पतन के बाद इजरायल ने सीरियाई ठिकानों पर लगातार हमले किए ताकि उनकी सैन्य क्षमता कमजोर हो सके. इसके अलावा, दक्षिणी सीरिया में डूज समुदाय पर बढ़ते हमलों ने भी हालात बिगाड़े हैं. इजरायल ने इस समुदाय की सुरक्षा के लिए हस्तक्षेप किया है. शरा ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार सभी अल्पसंख्यकों की रक्षा करेगी.
ट्रंप प्रशासन और समझौते की बाधाएं
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाहते थे कि यह समझौता जल्द घोषित हो, लेकिन यहूदी नववर्ष रोश हशाना और धीमी प्रगति के कारण इसमें देरी हुई. अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि समझौता लगभग 99% तैयार है और अगले दो हफ्तों में इसकी घोषणा हो सकती है. हालांकि, नेतन्याहू का रुख थोड़ा अलग है. उन्होंने माना कि शांति का नया अवसर है, खासकर तब जब लेबनान में हिजबुल्लाह को इजरायल ने काफी तगड़ा नुकसान पहुंचा चुका है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि सीरिया के साथ किसी भी समझौते को अंतिम रूप देने में समय लगेगा.