Vivah Rituals: शादी में दूल्हा या दुल्हन सबसे पहले कौन पहनाता है वरमाला, जानें
Hindu Vivah Rituals: शादी-विवाह के दौरान कई तरह की रस्में निभाई जाती हैं. हर धर्म के लोगों में विवाह के दौरान विभिन्न रस्मों-रिवाज और पंरपराएं निभाई जाती हैं. इनमें हल्दी, मेहंदी, फेरे आदि जैसे कई रस्म होते हैं. इन्हीं रस्मों में वरमाला भी एक है.
वरमाला को कई जगहों पर जयमाला भी कहा जाता है. यह वह क्षण होता है जब दूल्हा और दुल्हन पहली बार एक-दूसरे को स्वीकार करते हैं और विवाह की रस्मों के लिए आगे बढ़ते हं. वरमाला पहनाने को विवाह के रस्मों के शुभ आरंभ का प्रतीक माना जाता है.
बिहारी, बंगाली, मारवाड़ी, पंजाबी, मुस्लिम, ईसाई जैसे कई धर्म और जातियों में विवाह के दौरान वरमाला की परंपरा निभाई जाती है. लेकिन अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि शादी में सबसे पहले वरमाला कौन पहनाता है. यानी दूल्हा या दुल्हन कौन सबसे पहले वरमाला पहनाता है. आइए जानते हैं.
हिंदू धर्म में वरमाला की रस्म
हिंदू धर्म मे वरमाला की रस्म को महत्वपूर्ण माना जाता है. वरमाला का अर्थ है ‘वर को माला पहनाना’. इसलिए सबसे पहले दुल्हन ही दूल्हे को वरमाला पहनाती है. प्राचीन काल में इसे स्वयंवर की परंपरा से जोड़ा जाता था. जब राजकन्या अपने पसंद के वर को माला पहनाकर जीवनसाथी के रूप में स्वीकार करती थी. इसलिए आज भी इसी नियम का परंपरा का पालन करते हुए दुल्हन द्वारा दूल्हे को सबसे पहले वरमाला पहनाना शुभ माना जाता है.
हालांकि बदलते समय में शादी-विवाह की परंपराओं में भी कई बदलाव आए हैं. लेकिन आज भी वरमाला की परंपरा जरूर निभाई जाती है. वरमाला प्रेम, स्वीकृति और जीवनभर के साथ का संकल्प है.
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